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दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के लिए चुनावी घमासान

देश में भले ही यूपी चुनाव का हंगामा हो, लेकिन दिल्ली में गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के लिए घमासान किसी बड़े चुनाव से कम नहीं. दिल्ली की राजनीति से जो लोग वाकिफ हैं, उन्हें डीएसजीपीसी चुनाव की अहममियत भी मालूम होती है, क्योंकि दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पर काबिज़ होने का मतलब सिख राजनीति के रुख का इशारा भी होती है.

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दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव 26 फरवरी को होने हैं
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव 26 फरवरी को होने हैं

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देश में भले ही यूपी चुनाव का हंगामा हो, लेकिन दिल्ली में गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के लिए घमासान किसी बड़े चुनाव से कम नहीं. दिल्ली की राजनीति से जो लोग वाकिफ हैं, उन्हें डीएसजीपीसी चुनाव की अहममियत भी मालूम होती है, क्योंकि दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पर काबिज़ होने का मतलब सिख राजनीति के रुख का इशारा भी होती है.

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव 26 फरवरी को होने हैं और इसके लिए ज़ोरदार टक्कर चल रही है. फिलहाल डीएसजीपीसी पर शिरोमणी अकाली दल के मंजीत सिंह जीके गुट का कब्ज़ा है और टक्कर में अकाली दल दिल्ली के सरना बंधु हैं. हालांकि इस बार पंथक सेवा दल नाम से एक नया गुट भी चुनावी मैदान में है और कहा जा रहा है कि पंथक सेवा दल को आम आदमी पार्टी का समर्थन हासिल है.

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डीएसजीपीसी के लिए दिल्ली में कुल 46 वार्ड हैं, जिनके तहत दिल्लीभर के गुरुद्वारों का प्रबंधन आता है. इसके साथ ही डीएसजीपीसी कई स्कूल, कॉलेज, हॉस्पीटल और दूसरी सामाजिक संस्थाओं का भी संचालन करती है. इस बार डीएसजीपीसी की 46 सीटों के लिए कुल 376 उम्मीदवार मैदान में हैं और मुकाबला कांटे का माना जा रहा है.

माना यह जाता है कि दिल्ली में डीएसजीपीसी के चुनाव नतीजे में पंजाब की राजनीतिक हवा का इशारा मिलता है. हालांकि इस बार पंजाब के चुनाव डीएसजीपीसी के चुनावों से पहले हो गए, लेकिन डीएसजीपीसी के नतीजे पंजाब विधानसभा के नतीजों के पहले आ जाएंगे.

यही नहीं इस बार आम आदमी पार्टी के समर्थन का दावा करने वाला एक दल पंथक सेवा दल भी मैदान में है, तो दिल्ली के सिख समाज में केजरीवाल की पार्टी का आधार का अंदाज़ा भी इन चुनावों से लगाया जा रहा है. हालांकि आम आदमी पार्टी खुलकर समर्थन देने से गुरेज़ कर रही है.

हालांकि इस बार कांग्रेस समर्थक माने जाने वाले परमजीत सरना अपनी जीत का दावा कर रहे हैं और शिरोमणी अकाली दल पर गड़बड़ियों का आरोप लगा रहे हैं. सरना का कहना है कि मंजीत सिंह जीके के कार्यकाल में सिख धर्म की बेअदबी हुई है और एक धार्मिक संस्था को पूरी तरह राजनीतिक बना दिया है.

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वहीं जीके गुट के मनजिंदर सिंह सिरसा दावा कर रहे हैं कि सरना बंधुओं की असलियत उनके पिछले कार्यकाल में ही सामने आ गई थी. इसलिए अब सिख समाज के लोग उन पर भरोसा करने वाले नहीं है. वहीं आम आदमी पार्टी चोरी छुपे गुरुद्वारा चुनाव में अपनी दखलंदाज़ी करने की कोशिश कर रही है, लेकिन उनका कोई आधार नहीं है और वह चारों खाने चित्त होंगे.

इन दौरान दोनों ही पार्टियां दावा कर रही हैं कि उन्होंने किसी भी राजनीतिक दल से न तो मदद ली है और न ही किसी नेता को चुनाव प्रचार के लिए इस्तेमाल किया है, लेकिन गुरुद्वारे का यह चुनाव इतनी गैरराजनीतिक भी नहीं है. खैर 26 फरवरी को वोटिंग के बाद 1 मार्च को गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के नतीजे आएंगे. भले ही ये चुनाव गुरुद्वारों का प्रबंधन करने वाली कमेटी के हों, लेकिन नतीजे कई राजनीतिक इशारा करने वाले होंगे.

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