Delhi Pollution: दिल्ली में पिछले दिनों लगातार हुई बारिश के बाद अब मौसम खुल गया है. बारिश के दौरान राष्ट्रीय राजधानी की हवा साफ रही और लोगों को अच्छी हवा में सांस लेने का मौका मिला. लेकिन अब एक बार फिर दिल्ली की आबोहवा खराब होने के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं. बारिश के बाद तापमान में गिरावट दर्ज होने के साथ ही प्रदूषण भी तेजी से बढ़ने लगा है. मौसम विज्ञान संस्थान ने वायु गुणवत्ता के संबंध में अलर्ट जारी किया है.
मौसम विज्ञान संस्थान ने जारी किया अलर्ट
दरअसल, मौसम विज्ञान संस्थान के मुताबिक, 18 अक्टूबर से अगले छह दिन तक हवा मध्यम से खराब श्रेणी में रहने वाली है. आज की बात करें तो शनिवार को हवा की गुणवत्ता मध्यम से खराब श्रेणी ( Poor Category) में और रविवार को भी खराब श्रेणी में रहने की संभावना है. बता दें कि आने वाले दिनों में दिवाली का त्योहार आ रहा है. ऐसे में आतिशबाजी और पटाखों के धुएं से स्थिति और गंभीर हो सकती है.
वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी
इसके अलावा, IIT दिल्ली में वायु गुणवत्ता पर हुई वर्कशॉप में वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि बारिश की वजह से जो पराली नहीं जलाई गई, वो अब एक साथ जलाई जाएगी, जिससे दिल्ली-एनसीआर और गंगा के आसपास के मैदानी इलाकों में तेजी से प्रदूषण बढ़ेगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में 30-70 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है क्योंकि अगली फसल का मौसम तेजी से आ रहा है. इसके लिए पराली सूखते ही किसान इसे जला देंगे.
वैज्ञानिकों ने बताया प्रदूषण को रोकने का तरीका
इससे बचाव पर बात करते हुए प्रोफेसर पाठक ने कहा, "वायु प्रदूषण में स्पाइक को तुरंत रोकने का एकलौता तरीका ये है कि सरकार किसानों से सभी पराली ले ले और इसे जैव ईंधन के रूप में बिजली पैदा करने के लिए उपयोग करे. अन्य तरीकों में ज्यादा समय लगने की संभावना है, क्योंकि पराली को खेतों में मिलाया जाता है जिससे मिट्टी की गुणवत्ता बेहतर होती है. हालांकि अगली फसल में कम समय रहने के चलते इस तरीके को नहीं अपनाया जा सकता. हालांकि, दिल्ली में प्रदूषण की वजह वाहन और औद्योगिक प्रदूषण भी है, लेकिन प्रदूषण में तेजी से बढ़ोत्तरी की सबसे बड़ी वजह पराली ही है.
सरकार का एक्शन
दिल्ली सरकार पॉल्यूशन से निपटने की तैयारी कर रही है. यहां कम लागत वाले स्मॉग टावर बनाने की तकनीक विकसित करने पर भी काम किया जा रहा है. राज्य सरकार ने पिछले साल दिल्ली में स्मॉग टावर लगाना शुरू किया था. मिनेसोटा विश्वविद्यालय द्वारा इस विकसित तकनीक के आधार पर पिछले साल अक्टूबर की बारिश के बाद आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी दिल्ली और डीपीसीसी द्वारा एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. IIT बॉम्बे, IIT दिल्ली और DPCC की टीम ने एक साल पूरा होने के बाद पहली स्टडी रिपोर्ट जमा कर दी है.
इस रिपोर्ट के अनुसार, इस स्मॉग टावर का औसत प्रदर्शन प्रदूषण को कम करने में 50 मीटर की दूरी तक 70-80% का प्रभाव डाल रहा है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने स्मॉग टॉवर सिटव का दौरा किया. उन्होंने कहा कि चूंकि स्मॉग टावर पहली बार स्थापित किए गए थे, हम अभी भी विभिन्न तकनीकी उपकरणों का उपयोग करने के प्रयोग के चरण में हैं. टीम सभी मुश्किलों को दूर करने में लगी है. ये पायलट प्रोजेक्ट दो साल का है, इसलिए वे अगले एक साल तक अपना अध्ययन जारी रखेंगे.