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दिवाली पर बेहद खराब हुई हवा, जानें अपने आस-पास प्रदूषण का हाल

दिवाली के दिन कई जगह वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. रविवार को राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गया.

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दिल्ली की हवा में बढ़ा प्रदूषण (प्रतीकात्मक तस्वीर)
दिल्ली की हवा में बढ़ा प्रदूषण (प्रतीकात्मक तस्वीर)

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  • जहरीली हुई हवा, खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण
  • बेहद खराब हुई एयर क्वालिटी, AQI 341 पर पहुंचा

रविवार को देश में दिवाली मनाई गई, लेकिन दिवाली के अगले दिन यानी सोमवार को कई जगह पर वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. राजधानी दिल्ली में रविवार को ही प्रदूषण का स्तर 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गया. एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) में वायु प्रदूषण का स्तर 313 पर रहा और दोपहर होते-होते AQI और भी खराब हो गया. दिल्ली में दोपहर 2.30 बजे के करीब AQI 341 पर रहा. दिवाली के दिन जो असर दिखना शुरू हुआ वह सोमवार तक जारी रहा.

रविवार को दिवाली के दिन वजीरपुर और बवाना में PM 2.5 लेवल 400 के पार रहा. राजधानी के 37 AQI स्टेशन्स में से 29 स्टेशन्स पर प्रदूषण स्तर 'बहुत खराब' श्रेणी पर पहुंच गया. दिल्ली से सटे फरीदाबाद में AQI 318, गाजियाबाद में 397, ग्रेटर नोएडा में 315 और नोएडा में 357 पर रहा.

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बता दें पिछले साल दिवाली के बाद दिल्ली का AQI 600 मार्क को पार कर गया था जो कि सेफ लिमिट से 12 गुना अधिक है. वहीं 2017 में AQI 367 रहा. इसके अलावा दिवाली से ठीक एक दिन पहले यानी शनिवार को भी प्रदूषण का स्तर AQI 302 रहा.

अपने आस-पास हवा में जानें प्रदूषण का हाल

कैसे होता है AQI लेवल?

एक्यूआई 0 से 50 के बीच अच्छा, 51 से 100 के बीच संतोषजनक, 101 से 200 मध्यम, 201 से 300 खराब, 301 से 400 तक बेहद खराब और 401 से 500 के बीच खतरनाक माना जाता है. वहीं दिवाली के अलावा दिल्ली में हवा की क्वालिटी लगातार बिगड़ने का मुख्य कारण हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब के इलाकों में पराली जलाना भी है.

बता दें 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच का समय दिल्ली-एनसीआर की हवा के लिए काफी खतरनाक साबित हो जाता है.

अगर आपके पास एंड्रॉइड फोन है तो यहां आपके आस-पास की हवा में प्रदूषण का हाल मिलेगा

दिल्ली की हवा खतरनाक स्तर तक खराब होने की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में पटाखों पर बैन लगा दिया था. दिल्ली में सिर्फ ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति है जो 30 फीसदी कम प्रदूषण फैलाते हैं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट की पाबंदी के बावजूद, कई लोगों ने पुराने पटाखों का इस्तेमाल किया.

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