Delhi Air Quality: दिल्ली में 22 अक्टूबर के बाद तेजी से प्रदूषण बढ़ सकता है. इसको लेकर सरकार ने अभी से एहतियात बरतनी शुरू कर दी है. वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि पराली जलाने से दिल्ली में केवल 3-4 फीसदी ही प्रदूषण होता है. केंद्र सरकार के पर्यावरण डेटा निगरानी मंच SAFAR के अनुसार, पराली जलाने से जो धुआं उठ रहा है, उससे 17 अक्टूबर को दिल्ली के पीएम 2.5 स्तर में करीब 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी जबकि 20 और 21 अक्टूबर के बीच इस स्तर में गिरावट देखने को मिली. यह घटकर 3 से 2 प्रतिशत के बीच आ गया.
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के सीनियर प्रोग्राम मैनेजर विवेक चट्टोपाध्याय ने कहा- दिल्ली के प्रदूषण में पराली से उठने वाले धुएं का योगदान कम है. अभी यह केवल 3-4 प्रतिशत है. 22 अक्टूबर के बाद यह बढ़ सकता है, लेकिन अभी दिल्ली की हवा में जो प्रदूषण है, वह स्थानीय वजहों से ज्यादा है.
वाहनों की वजह से होता है 2% ज्यादा प्रदूषण
विवेक चट्टोपाध्याय ने बताया कि दिल्ली में 50 फीसदी प्रदूषण गाड़ियों से निकलने वाले धुएं की वजह से है. दिवाली उत्सव के कारण यातायात बढ़ा है. इस दौरान वाहन सामान्य गति से 2% ज्यादा प्रदूषण करते हैं. उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा चिंता वाली बात यह है कि पीएम 10 में पीएम 2.5 के कणों का मिश्रण 52% तक बढ़ रहा है, जो सेहत के लिए खतरनाक है.
16 अक्टूबर को पराली से निकली थी 2000 वाट ऊर्जा
सीएसई के सीनियर प्रोग्राम मैनेजर ने बताया कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि पंजाब-हरियाणा-दिल्ली में पराली जलने के मामले तेजी से बढ़ गए हैं. इन राज्यों में पराली जलाने से 16 अक्टूबर को 2,000 वाट तक का ऊर्जा का उत्सर्जन हुआ था. सीएसई ने बताया कि सर्दियों में प्रदूषण होने और इसके परिणामों को लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है.
उन्होंने बताया कि अर्बन लैब के एयर क्वालिटी ट्रैकर इनिशिएटिव के तीसरे संस्करण का पहला विश्लेषण है. दिल्ली-एनसीआर की एयर क्वालिटी पर महामारी लॉकडाउन के असर का अध्ययन करने के लिए 2020-21 की सर्दियों में शुरू किया गया था.
2021 में सात साल में सबसे ज्यादा केस दर्ज किए गए
विशेषज्ञों का कहना है कि 2020 और 2021 में पराली जाने के आधे से भी कम मामले दर्ज किया गए, जिसका मतलब यह है कि आने वाले कुछ दिनों में बड़े पैमाने यह केस देखने को मिल सकते हैं. उन्होंने कहा कि अगर सामान्य स्थिति में यह जारी रहा तो स्थिति और खराब हो सकती है.
उन्होंने बताया कि 2021 में पिछले सात साल में पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए. पिछले साल 10 फीसदी की वृद्धि देखी गई जबकि 2020 में केवल 5 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखी गई थी.
तंदूर और डीजल जनरेटर के इस्तेमाल पर रोक
दिल्ली में हवा के स्तर को चिंताजनक हालात तक पहुंचने से रोकने के लिए कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट की आपात बैठक में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान यानी ग्रैप के दूसरे चरण को लागू करने का फैसला किया गया है. इसके तहत प्रदूषण कम करने के लिए हर दिन सड़कों की सफाई होगी. जबकि हर दूसरे दिन पानी का छिड़काव किया जाएगा.
इसके अलावा होटल या रेस्टोरेंट में कोयले या तंदूर का इस्तेमाल नहीं होगा. अस्पताल, रेल सर्विस, मेट्रो सर्विस जैसी जगहों को छोड़कर कहीं और डीजल जनरेटर का इस्तेमाल नहीं होगा. वहीं भीड़-भाड़ वाले इलाकों में स्मॉग टावर लगाए हैं.
दिल्ली सरकार द्वारा 28 नवंबर से "रेड लाइट, ऑन गाड़ी ऑफ" का अभियान शुरू होगा, जो 1 महीने तक चलेगा. इसके लिए 2500 सिविल डिफ़ेंस वॉलंटियर्स को लगाया जाएगा. इसके लिए 100 बड़े चौराहों को चुना जाएगा.