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Population Explosion: सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को नोटिस, याचिकाकर्ता ने की ये मांग

यह याचिका बख्त अहमद द्वारा दायर की गई है. बख्त मौलाना आजाद के पोते हैं. कोर्ट ने याचिका को समान लंबित याचिकाओं के साथ टैग भी किया है. पीठ ने अहमद की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया है. याचिका में जनसंख्या विस्फोट को नियंत्रित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है.

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जनसंख्या विस्फोट से जुड़ी याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस
जनसंख्या विस्फोट से जुड़ी याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को जनसंख्या विस्फोट को नियंत्रित करने के नियम और दिशानिर्देश तैयार करने के निर्देश देने संबंधी याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया. यह याचिका मौलाना आजाद के पोते बख्त अहमद द्वारा दायर की गई है. जिसे कोर्ट ने समान लंबित याचिकाओं के साथ टैग भी किया है.

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न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अध्यक्षता वाली पीठ ने अहमद की याचिका पर नोटिस जारी किया है. इस याचिका में जनसंख्या विस्फोट को नियंत्रित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है. जिसमें राष्ट्रीय आयोग की 24वीं सिफारिश (न्यायमूर्ति वेंकटचलैया आयोग) का जिक्र किया गया है.

विधि आयोग से मांगे सुझाव
विकल्प के तौर पर याचिकाकर्ता ने भारत के विधि आयोग को जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए सुझाव देने के लिए भी कहा है. जिसमें तीन महीने में जनसंख्या विस्फोट पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने की मांग की है.

उधर, धार्मिक नाम और प्रतीक वाले चुनाव चिह्नों का इस्तेमाल करने वाली राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है. इस संबंध में अदालत में एक याचिका दायर की गई थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया. जिसमें चार हफ्ते में जवाब मांगा है. 

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इस मामले में अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होनी है. बता दें कि याचिका में कहा गया है कि धार्मिक नाम या चिह्नों का इस्तेमाल करने वाले सियासी दलों पर प्रतिबंध लगाया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राजनीतिक पार्टियों को भी पक्षकार बनाने की इजाजत दी है.

 

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