देश की राजधानी दिल्ली में शनिवार को एक हैरान करने वाला मामला सामने आया. माधव राव सिंधिया मार्ग पर दोपहर के वक्त सड़क धंस गई, जिससे 5 फीट गहरा गड्ढ़ा हो गया. वहीं हैरानी वाली बात यह है कि गड्ढ़े के नीचे 50 मीटर तक लंबी सुरंग मिली है. वीवीआईपी इलाके में सड़क धंसने की ये चौथी घटना थी. जबकि वीवीआईपी माने जानी वाली लुटियंस दिल्ली की सड़कें सबसे अच्छी और पुरानी हैं. करीब 5 साल में इनकी मरम्मत भी होती है.
करीब 20 सालों तक रोड कंसट्र्क्शन में बतौर चीफ इंजीनयर काम कर चुके पीडब्लूडी के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर दिनेश कुमार का कहना है, 'सड़कें अचानक धसने की घटनाओं को रोका जा सकता है, लेकिन इसके लिए एजेंसियों को मॉनसून से पहले ठीक से तैयारी करनी होगी.
दिनेश बताते हैं कि दिल्ली जैसे पुराने शहरों में सीवर और पानी लाइन के बिछने का समय 20 साल से ज्यादा का हो चुका है. सुबह के वक्त जब सीवर लाइन में डिस्चार्ज पीक पर होता है तो ऐसे में सीवर का पानी लीक होता है. जबकि दिन के वक्त डिस्चार्ज कम होने पर यही लीक हुआ पानी वापस सीवर लाइन में आते हुए अपनी साथ मिट्टी भी ले आता है. यही वजह है कि पाइपलाइन के चारों तरफ एक कैविटी बन जाती है.
उन्होंने बताया कि यही कैविटी, बड़ी होकर सुरंगनुमा हो जाती है. हो सकता है कि माधव राव सिधिंया रोड पर सीवर लाइन के साथ-साथ ही सुरंग हो. एनडीएमसी अधिकारियो ने भी बताया कि रोड के नीचे सीवरलाइन और पानी की लाइन साथ-साथ बिछाई गई हैं.
दिल्ली के फ्लाईओवर मैन कहे जाने वाले दिनेश कुमार का कहना है कि इंजीनियर्स को पहले से पता होना चाहिए कि कहां सड़क बैठेगी. सड़कों की मरम्मत कार्य के कारण सड़क के ऊपर करीब एक फीट मोटी परत या क्रस्ट हो जाती है. भारी बारिश होने के बाद क्रस्ट के नीचे की मिट्टी खिसक जाती है, ऐसे में किसी भारी वाहन के गुजरने पर उसके बैठने का खतरा लगातार बना रहता है. वरना ऐसी सड़कें धीरे-धीरे बैठती हैं.
उन्होंने कहा कि सड़क इंजीनियर को भी इस बात का इल्म होता है. वो जानते हैं कि वक्त रहते इसे ठीक किया जा सकता है.
कैसे रुकेगा सड़कों के धंसने का सिलसिला
सड़कों की कैविटी टेस्टिंग कराई जाए. ये ऐसी तकनीक है, जिसमें सड़क के नीचे का मैप बना कर देखा जाता है कि कैविटी कहां कहां बनी है. साथ ही प्रोन एरिया की भी तलाश की जानी चाहिए.
दिनेश ने बताया कि राजघाट की सड़क के नीचे सीवर लाइन बिछी है जहां पर हर तीन साल में कैविटी टेस्टिंग होती है. मोतीबाग में भी कैविटी टेस्टिंग कराकर सड़क धंसने के सिलसिले को रोका गया है.
ऐसे में कैविटी मैपिंग करा कर सड़कों का ट्रीटमेंट किया जाना चाहिए, जहां कैविटी मिल गई. उसे ओपन करके फिल करना ही ठीक है. मॉनसून से पहले ही प्रिकॉशन लिया जाना चाहिए. इंजीनियर के पास एक नक्शा होता है जिसमें उन्हें पता होता है कि सीवर लाइन और वाटर पाइप लाइन कहां-कहां किन किन इलाको से पास हो रही है.