सारंगी के सम्राट और पद्म पुरस्कार से सम्मानित सारंगी नवाज उस्ताद साबरी खान की याद में मोदी सरकार 13 दिसंबर को डाक टिकट जारी कर रही है. उस्ताद साबरी खान ने पहली बार सारंगी की खूबसूरत और सुरीली अदा से पूरी दुनिया का परिचय कराया था. तीन साल पहले दुनिया छोड़ने से पहले तक साबरी खान सारंगी को नवाजते रहे.
उनके बेटे और सारंगी के उस्ताद कमाल साबरी का कहना है कि हाल के वर्षों में सारंगी के प्रति पूरी दुनिया की दिलचस्पी बढ़ी है. ये सुखद है. ये सही है कि पिछले कुछ दशकों में भारत में सारंगी के प्रति उदासीनता दिखी थी, लेकिन अब नई पीढ़ी सारंगी को फिर से सौरंगी बनाने की ललक से भरी हुई है.
उस्ताद साबरी खान उन चुनिंदा खुशकिस्मत लोगों में थे जिन्होंने 15 अगस्त, 1947 की रात एआइआर पर प्रसारित राष्ट्रगान के वाद्य-वृंद में सारंगी बजाई थी. उस वक्त वे सिर्फ 15 बरस के थे लेकिन उनमें एक उस्ताद के सारे गुर थे. एक बार उन्होंने कहा था कि सारंगी से इंसानी सुर निकल सकते हैं जो कभी-कभार गायक के हुनर पर भी भारी पड़ जाते हैं.
साबरी खान ने कई कलाकारों को तालीम दी है जिनमें उनके बेटे कमाल साबरी, सुहैल यूसुफ खान और दूसरे संगीतकार शामिल हैं. सरकार ने उन्हें साल 1990 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और 1992 में पद्मश्री से सम्मानित किया था.