अरविंद केजरीवाल की सरकार ने जिस धूम धड़ाके से बिजली की दरें घटाने की घोषणा की थी, वह अब मंद पड़ती जा रही है. ताजा खबर यह है कि नई दरें मई के बाद ही लागू हो सकेंगी, जिसके बाद ही लोगों को राहत मिलेगी.
अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स के मुताबिक इस संशोधन में अड़चन है. इस निर्णय को विधानसभा से पारित कराना होगा, क्योंकि सरकार को इसके लिए 200 करोड़ रुपए चाहिए. यह राशि सरकार सदन से पारित कराने के बाद ही बिजली कंपनियों को दे सकती है. अब यहां समस्या यह है कि दिल्ली विधानसभा में इसे फरवरी में होने वाले सत्र में रखना होगा. चूंकि आम चुनावों की घोषणा हो जाने की संभावना है तो ऐसे में चुनावी आचार संहिता भी लागू हो जाएगी. ऐसी हालत में दिल्ली सरकार बजट सत्र की बजाय वोट ऑन अकाउंट पेश करेगी, जिसमें इस तरह के खर्च के लिए अनुमति नहीं मिलेगी. जाहिर है केंद्र में सरकार बनने के बाद यानी मई के बाद इसे हरी झंडी दिखाई जा सकेगी. तब जाकर बिजली की दरें कम होंगी.
दिल्ली के पूर्व बिजली सचिव शक्ति सिन्हा ने कहा है कि किसी भी तरह की सब्सिडी के लिए विधानसभा की मंजूरी जरूरी है. उसकी इजाजत के बिना इस तरह का कोई भी काम नहीं हो सकता है. इसका मतलब हुआ कि केजरीवाल सरकार को हर हालत में विधानसभा की मंजूरी चाहिए. दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने 400 यूनिट खपत करने वालों को 50 प्रतिशत की छूट देने का आदेश दिया है. यह छूट जनवरी से ही मिलनी थी. लेकिन अब इस बात की कोई संभावना नहीं है कि यह जनवरी से लागू हो सकेगी. यह मई के बाद ही लागू हो सकेगी.