दिल्ली में एक बार फिर बिजली का मुद्दा गहराने लगा है. राजधानी के लगभग दो तिहाई हिस्से में बिजली वितरण का जिम्मा संभालने वाली प्राइवेट कंपनी बीएसईएस के कर्मचारियों का एक बड़ा खेमा हड़ताल पर चला गया है. ऐसे में कई इलाकों में घंटों बिजली गुल रहने से उमस और गर्मी में लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.
क्या है हड़ताल की वजह?
दरअसल, दिल्ली में बीएसईएस की दो कंपनियां हैं. पहली कंपनी बीएसईएस राजधानी दिल्ली के साउथ और वेस्ट इलाकों में बिजली वितरण करती है, जबकि बीएसईएस यमुना का काम पूर्वी और सेंट्रल दिल्ली में बिजली मुहैया कराने का है. हड़ताल का सबसे ज्यादा असर बीएसईएस राजधानी के इलाकों में देखने को मिला. दक्षिणी दिल्ली के कई इलाके बुधवार को देर रात तक अंधेरे में डूबे रहे. जिन इलाकों को कई घंटों कटौती झेलनी पड़ी, उनमें संगम विहार, प्रहलादपुर, गोविंदपुरी, हौज़ खास, देवली, साकेत जैसे कई इलाके शामिल थे. पश्चिमी दिल्ली में भी हाल बुरा था. वहां भी कई इलाकों मसलन रामपुरा, पंजाबी बाग, नजफगढ़ से लगने वाले इलाकों में देर रात तक बत्ती गुल रही.
क्या है बीएसईएस कर्मचारियों की मांग?
कर्मचारियों में ज्यादातर हड़ताल पर वो रहे, जिनके जिम्मे रख रखाव की जिम्मेदारी होती है. इसलिए जहां एक बार बिजली चली गई, वहां दुबारा जुड़ी ही नहीं. कर्मचारियों के मांग अपनी नौकरी को पक्की करने की है, क्योंकि अब तक बीएसईएस ज्यादातर कॉन्ट्रैक्ट के कर्मचारियों से ही काम चलाता है. इसके अलावा वेतन बढ़ाना और फील्ड में काम कर रहे लोगों को आने जाने के लिए पेट्रोल देने जैसी मांग भी शामिल हैं.
'राजनीति से प्रेरित है हड़ताल'
बीएसईएस के प्रवक्ता ने जानकारी दी कि हड़ताल का कई जगहों पर असर तो रहा, लेकिन सभी जगह जल्द से जल्द बिजली सप्लाई चालू करने की कोशिश की गई. प्रवक्ता ने ये भी आरोप लगाया कि ये हड़ताल राजनीति से प्रेरित है और इसमें बिना मान्यता प्राप्त कर्मचारी यूनियन शामिल हैं. वहीं, बीएसईएस कर्मचारियों ने धमकी दी है कि मांग जल्द नहीं मानी गई, तो वो आंदोलन को पूरी दिल्ली में शुरू करेंगे.