दिल्ली विद्युत विनिमायक आयोग यानी डीईआरसी ने राजधानी में बिजली की कीमत एक बार फिर बढ़ा दी है. लेकिन इस चुनावी साल में जब तक पब्लिक सरकार पर गुस्सा उतारती, उससे पहले ही दिल्ली सरकार ने मरहम के तौर पर सब्सिडी की घोषणा भी कर दी. डीईआरसी ने औसतन 5 फीसदी कीमत बढ़ाई थी लेकिन सब्सिडी के बाद दो सौ यूनिट की खपत पर पुरानी ही कीमत चुकानी होगी, तो 201 से 400 यूनिट पर अब 80 पैसे की सब्सिडी का सरकार ने ऐलान कर दिया है.
चुनावी साल में बिजली बढ़ोत्तरी की कहानी का स्क्रिप्ट डीईआरसी ने कुछ उसी तरह से लिखा जैसा इस सियासी माहौल में उम्मीद लगाई गई. बढ़ोतरी 5 फीसदी की हुई. लेकिन पहले से लग रहे बीएसईएस की कंपनियों के साढ़े 4 फीसदी और टाटा पावर कंपनी के 3 फीसदी ईंधन सरचार्ज को भी साथ ही खत्म करने की घोषणा भी कर दी. यानी कुल मिलाकर बढ़ोतरी न के बराबर हुई, मकसद ये रहा कि बढ़ोतरी की बात भी हो और इसका लोगों के बिलों में असर दिखे भी नहीं।
नई दरों के मुताबिक शून्य से 200 यूनिट तक प्रति यूनिट 3 रुपये 90 पैसे, 200 से 400 यूनिट तक बिजली खर्च करने वाले लोगों को 5 रुपये 80 पैसे और 400 से 800 यूनिट तक बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 6 रुपये 80 पैसे का चार्ज देना पड़ेगा. एनडीएमसी इलाके में जो टैरिफ लागू होगा उसके मुताबिक शून्य से 200 यूनिट तक प्रति यूनिट 3 रुपये 25 पैसे, 200 से 400 यूनिट तक बिजली खर्च करने पर प्रति यूनिट 4 रुपये 35 पैसे और 401 से 800 यूनिट तक बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 5 रुपये 40 पैसे चुकाने होंगे. 800 से ज्यादा यूनिट खर्च करने पर 5 रुपये 70 पैसे का चार्ज देना होगा. इधर बढ़ोतरी की घोषणा हुई और उधर विपक्ष ने लगे हाथों सरकार को इस पूरे मसले पर लपेट भी लिया.
मगर विपक्ष ने हमला बोलने में देरी नहीं कि तो सरकार ने भी चुनावी साल में राहत की रेवड़ियां बांटने में कोई वक्त नहीं लिया. चुनावी साल में शीला सरकार ने 200 यूनिट तक की बिजली के लिए 1 रुपए 20 पैसे प्रति यूनिट की सब्सिडी का ऐलान किया तो पहली बार हर महीने 201 से लेकर 400 यूनिट खर्च करने वालों को भी 80 पैसे प्रति यूनिट की सब्सिडी दे दी. यानी लोगों की जेब का बोझ सरकार अपनी जेब से 550 करोड़ रुपए देकर चुकाएगी और उम्मीद यही करेगी कि इससे बढ़ी कीमतों पर विपक्ष का मुंह भी बंद हो जाए और कांग्रेस के लिए वोट बैंक का एक नया रास्ता भी खुल पाए.