आम आदमी पार्टी प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को पीएसी के बाद अब नेशनल एग्जीक्यूटिव से भी हटाने की तैयारी में है. इसके साथ ही पार्टी अब खुले तौर पर योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को गद्दार बता रही है. पार्टी ने एक पूरा बयान जारी करके दोनों पर आरोप लगाया है कि ये पार्टी को हराने की कोशिशों में जुटे थे.
सूत्रों के मुताबिक, आम आदमी पार्टी की नेशनल काउंसिल की बैठक 28 मार्च को है और संभवत: उसी दिन दोनों को नेशनल एग्जीक्यूटिव से हटाने की भी घोषणा होगी.
वहीं, पार्टी ने एक बयान जारी करके कहा है कि दिल्ली चुनाव में योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, शांति भूषण पार्टी को हराना चाहते थे. पार्टी का आरोप है कि दिल्ली चुनाव के दौरान प्रशांत ने लोगों को चंदा देने से रोका, कार्यकर्ताओं को दिल्ली आने से रोका. योगेंद्र यादव ने पार्टी की नकारात्मक खबरें छपवाई.
आपको बता दें कि 4 मार्च को आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में पार्टी में आए गतिरोध को दूर करने के लिए योगेन्द्र यादव व प्रशांत भूषण को पीएसी से मुक्त करके नई जिम्मेदारी देने का फैसला लिया गया था.
आम आदमी पार्टी ने बयान जारी करके कहा, 'पार्टी ने प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को यह सोचकर पीएसी से हटाने के कारणों को सार्वजनिक नहीं किया कि उससे इन दोनों के व्यक्तित्व पर विपरीत असर पड़ेगा, लेकिन बैठक के बाद मीडिया में लगातार बयान देकर माहौल बनाया जा रहा है, जैसे राष्ट्रीय कार्यकारणी ने अलोकतांत्रिक और गैरजिम्मेदार तरीके से यह फैसला लिया.'
पार्टी ने आगे कहा, 'मीडिया को देखकर कार्यकर्ताओं में भी यह सवाल उठने लगा है कि आखिर इनको पीएसी से हटाने की वजह क्या है? पार्टी के खिलाफ मीडिया में बनाए जा रहे माहौल से मजबूर हो कर पार्टी को दोनों वरिष्ठ साथियों को PAC से हटाये जाने के करणों को सार्वजनिक करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.'
पार्टी ने अपने जारी बयान में कहा, 'आम आदमी पार्टी को दिल्ली चुनावों में ऐतिहासिक जीत मिली है. यह जीत सभी कार्यकर्ताओं की जी-तोड़ मेहनत की वजह से संभव हुई, लेकिन जब सब कार्यकर्ता आम आदमी पार्टी को जिताने के लिए अपना पसीना बहा रहे थे, उस वक्त हमारे तीन बड़े नेता पार्टी को हराने की पूरी कोशिश कर रहे थे. ये तीनों नेता हैं- प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव और शांति भूषण.'
आम आदमी पार्टी ने योगेंद्र-प्रशांत पर पार्टी को हराने की कोशिशों के कुछ उदाहरण भी दिए हैं.
1. इन्होंने, खासकर प्रशांत भूषण ने, दूसरे प्रदेशों के कार्यकर्ताओं को फोन करके दिल्ली में चुनाव प्रचार करने आने से रोका. प्रशांत ने दूसरे प्रदेशों के कार्यकर्ताओं को कहा, 'मैं भी दिल्ली के चुनाव में प्रचार नहीं कर रहा. आप लोग भी मत आओ. इस बार पार्टी को हराना जरूरी है, तभी अरविंद का दिमाग ठिकाने आएगा.' इस बात की पुष्टि अंजलि दमानिया भी कर चुकी हैं कि उनके सामने प्रशांत ने मैसूर के कार्यकर्ताओं को ऐसा कहा.
2. जो लोग पार्टी को चंदा देना चाहते थे, प्रशांत ने उन लोगों को भी चंदा देने से रोका.
3. चुनाव के करीब दो सप्ताह पहले जब आशीष खेतान ने प्रशांत को लोकपाल और स्वराज के मुद्दे पर होने वाले दिल्ली डायलॉग के नेतृत्व का आग्रह करने के लिए फोन किया तो प्रशांत ने खेतान को बोला कि पार्टी के लिए प्रचार करना तो बहुत दूर की बात है, वो दिल्ली का चुनाव पार्टी को हराना चाहते है. उन्होंने कहा कि उनकी कोशिश यह है कि पार्टी 20-22 सीटों से ज्यादा न पाए, पार्टी हारेगी तभी नेतृत्व परिवर्तन संभव होगा.
4. पूरे चुनाव के दौरान प्रशांत ने बार-बार ये धमकी दी कि वे प्रेस कांफ्रेंस करके दिल्ली चुनाव में पार्टी की तैयारियों को बर्बाद कर देंगे. उन्हें पता था कि आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर है. और अगर किसी भी पार्टी का एक वरिष्ठ नेता ही पार्टी के खिलाफ बोलेगा तो जीती हुई बाजी भी हार में बदल जाएगी.
5. प्रशांत भूषण और उनके पिताजी को समझाने के लिए कि वे मीडिया में कुछ उलट सुलट न बोलें, पार्टी के लगभग 10 बड़े नेता प्रशांत के घर पर लगातार 3 दिनों तक उन्हें समझाते रहे. ऐसे वक़्त जब हमारे नेताओं को प्रचार करना चाहिए था, वो लोग इन तीनों को मनाने में लगे हुए थे.
6. दूसरी तरफ पार्टी के पास तमाम सबूत हैं, जो दिखाते है कि कैसे अरविंद की छवि को खराब करने के लिए योगेंद्र यादव ने अखबारों में नेगेटिव खबरें छपवाई. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, अगस्त माह 2014 में द हिन्दू अखबार में छपी खबर, जिसमें अरविंद और पार्टी की एक नकारात्मक तस्वीर पेश की गई. जिस पत्रकार ने ये खबर छापी थी, उसने पिछले दिनों इसका खुलासा किया कि कैसे यादव ने ये खबर प्लांट की थी. प्राइवेट बातचीत में कुछ और बड़े संपादकों ने भी बताया है कि यादव दिल्ली चुनाव के दौरान उनसे मिलकर अरविंद की छवि खराब करने के लिए ऑफ दी रिकॉर्ड बातें कहते थे.
7. 'अवाम' बीजेपी की ओर से संचालित संस्था है. 'अवाम' ने चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी को बहुत बदनाम किया. 'अवाम' को प्रशांत भूषण ने खुलकर सपोर्ट किया था. शांति भूषण जी ने तो 'अवाम' के सपोर्ट में और 'आप' के खिलाफ खुलकर बयान दिए.
8. चुनावों के कुछ दिन पहले शांति भूषण ने कहा कि उन्हें बीजेपी की CM कैंडिडेट किरण बेदी पर अरविंद से ज्यादा भरोसा है. पार्टी के सभी साथी ये सुनकर दंग रह गए. कार्यकर्ता पूछ रहे थे कि यदि ऐसा है तो फिर वे आम आदमी पार्टी में क्या कर रहे हैं, बीजेपी में क्यों नहीं चले जाते? इसके अलावा भी शांति भूषण ने अरविंद के खिलाफ कई बार बयान दिए.