अधिवक्ता और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होगी या नहीं इसका फैसला सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को करेगा. बिना FIR में नाम के मेडिकल कॉलेज घोटाले में चीफ जस्टिस का नाम घसीटने, एक बेंच के सामने मामले की सुनवाई की तारीख तय होने के बाद दूसरी बेंच के सामने मामले को सुनवाई के लिए आगे बढ़ाने की वजह से प्रशांत भूषण पर अवमानना का केस चल सकता है.
सोमवार को करीब डेढ़ घण्टे चली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने भूषण की ओर से बहस कर रहे सीनियर एडवोकेट शांति भूषण से दो टूक पूछा कि आखिर ऐसी इमरजेंसी क्या थी कि आप सुनवाई के लिए तय शुक्रवार का इंतजार नहीं कर सकते थे. दूसरा सवाल कोर्ट ने पूछा कि इस मामले में प्रोपराइटी क्या थी.
प्रशांत भूषण ने भी कोर्ट के सवालों का तुर्की ब तुर्की जवाब दिया. कोर्ट ने कहा कि सारे जज और उनके आदेश बराबर हैं. सबकी बराबर हैसियत है. तो आपने मामले को दूसरी बेंच के आगे मेंशन क्यों किया? इस पर भूषण बोले कि सब बराबर हैं तो जस्टिस चेकमेश्वर के आदेश में क्या गड़बड़ है.
खचाखच भरे कोर्ट में इस बाबत अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने भी इस याचिका पर प्रावधान बताए. उन्होंने कहा कि कानून के मुताबिक इस अवमानना में 3 महीने तक कैद और दो हजार रुपये तक जुर्माने की सजा है.