दिल्ली में एक बार फिर बिजली की कीमतों को बढ़ाने की सुगबुगाहट होने लगी है. दिल्ली की तीनों वितरण कंपनियों ने कीमत बढ़ाने की अपनी-अपनी याचिका दिल्ली विद्युत विनिमायक आयोग (डीईआरसी) के पास भेज दी है.
डीईआरसी मान जाएगी तो 10-15 फीसदी बढ़ोतरी संभव
बिजली कंपनियों ने अपने हिसाब-किताब में दिखाया है कि पिछले साल उन्हें कमाई के मुकाबले लगभग 2200 करोड़ ज्यादा खर्च करने पड़े हैं. एक बार फिर बीएसईएस की दो कंपनियों और टाटा पॉवर डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड ने कहा है कि उनके घाटे को कम करने के लिए बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी जरूरी होगी. हालांकि कंपनियों ने सीधे तौर अपनी याचिका में यह नहीं बताया है कि उन्हें कितनी बढ़ोतरी चाहिए. जानकारों की मानें तो 2200 करोड़ का घाटा अगर डीईआरसी मान लेती है तो 10 से 15 फीसदी की बढ़ोतरी संभव है.
तीनों कंपनियों ने दिखाया करोड़ों का नुकसान
दरअसल याचिका तीनों कंपनियों ने अलग-अलग सौंपी है. सूत्रों की मानें तो दक्षिणी और पश्चिमी दिल्ली में बिजली वितरण करने वाली कंपनी बीएसईएस राजधानी ने पिछले वित्तीय साल में जहां तकरीबन 900 करोड़ रुपए का नुकसान अपनी याचिका में दिखाया है. वहीं पूर्वी और सेंट्रल दिल्ली में वितरण करने वाली कंपनी बीएसईएस यमुना ने भी 600 करोड़ का नुकसान बताया है. जानकारी के मुताबिक उत्तरी दिल्ली में वितरण संभालने वाली टाटा की कंपनी टीपीडीडीएल ने तकरीबन 700 करोड़ के नुकसान की बात अपनी याचिका में कही है.
डीईआरसी में खाली पड़े हैं सदस्यों के तीन पद
पिछले साल दिल्ली में केजरीवाल सरकार बनने के बाद कंपनियों की याचिका के बावजूद डीईआरसी ने बिजली की कीमतों में कोई भी बढ़ोतरी नहीं करने का फैसला लिया था. उसके बाद इस साल आम आदमी पार्टी सरकार ने कृष्णा सैनी की नियुक्ति नए डीईआरसी के प्रमुख के तौर पर की है. अब भी दिल्ली विद्युत विनिमायक आयोग के तीन सदस्यों में से एक जगह खाली ही पड़ी है. इसलिए कंपनियों ने याचिका तो सौंप दी है, लेकिन दिल्ली में बिजली पर होने वाली सियासत के बीच क्या यह याचिका मंजूर होगी, ऐसा फिलहाल मुश्किल ही दिखता है.