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Atishi Swearing In: राष्ट्रपति ने आतिशी को दिल्ली CM नियुक्त किया, आज शाम होगा शपथग्रहण

Delhi CM Oath Ceremony: AAP विधायकों ने इस सप्ताह की शुरुआत में बैठक की और सर्वसम्मति से आतिशी को सत्तारूढ़ विधायक दल का नेता चुना. आप द्वारा घोषित नए मंत्रिपरिषद में गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज, इमरान हुसैन और नए सदस्य मुकेश अहलावत शामिल हैं, जो सुल्तानपुर माजरा से पहली बार विधायक बने हैं. राय, गहलोत, भारद्वाज और हुसैन निवर्तमान केजरीवाल सरकार में मंत्री हैं. 

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आतिशी दिल्ली की नई सीएम नियुक्त (Photo: PTI)
आतिशी दिल्ली की नई सीएम नियुक्त (Photo: PTI)

राष्ट्रपति ने अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा मंजूर करते हुए आम आदमी पार्टी नेता आतिशी को दिल्ली की मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया है. इसके साथ ही राष्ट्रपति ने 5 मंत्रियों की नियुक्ति को भी मंजूरी दे दी है. सभी को शपथ ग्रहण समारोह के लिए 21 सितंबर को राजभवन बुलाया गया है. सूत्रों के मुताबिक आतिशी अपने मंत्रिमंडल के साथ शाम 4:30 बजे शपथ ले सकती हैं.

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दरअसल केजरीवाल द्वारा मंगलवार को उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद आतिशी द्वारा इस्तीफा और सरकार गठन की फाइलें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को उनकी मंजूरी के लिए भेजी थीं. इस पर शपथ ग्रहण समारोह के लिए 21 सितंबर की तारीख प्रस्तावित की गई थी.

आप विधायकों ने इस सप्ताह की शुरुआत में बैठक की और सर्वसम्मति से आतिशी को सत्तारूढ़ विधायक दल का नेता चुना. आप द्वारा घोषित नए मंत्रिपरिषद में गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज, इमरान हुसैन और नए सदस्य मुकेश अहलावत शामिल हैं, जो सुल्तानपुर माजरा से पहली बार विधायक बने हैं. राय, गहलोत, भारद्वाज और हुसैन निवर्तमान केजरीवाल सरकार में मंत्री हैं. 

बता दें कि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल 13 सितंबर को आबकारी नीति मामले में पांच महीने से अधिक समय तक तिहाड़ जेल में रहने के बाद बाहर आए. दो दिन बाद एक आश्चर्यजनक घोषणा में केजरीवाल ने कहा कि भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा द्वारा उन पर लगाए गए आरोपों के बाद वह इस्तीफा दे देंगे. उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों में दिल्ली की जनता से ईमानदारी का प्रमाण पत्र मिलने के बाद वह मुख्यमंत्री पद पर वापस लौटेंगे. इसके बाद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया और विधायक दल की बैठक में आतिशी को नेता चुना गया.

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2020 में पहली बार विधायक बनीं आतिशी

आतिशी पंजाबी राजपूत परिवार से ताल्लुक रखती हैं और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हैं. आतिशी साल 2020 के विधानसभा चुनाव में पहली बार विधायक चुनी गईं और 2023 में पहली बार केजरीवाल सरकार में मंत्री बनीं. अब सालभर बाद ही 2024 में वो मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं. इससे पहले वो 2019 में पूर्वी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ी थीं और बीजेपी उम्मीदवार गौतम गंभीर से 4.77 लाख वोटों से हार गई थीं और तीसरे नंबर पर आईं थीं. आतिशी को केजरीवाल का करीबी सहयोगी और विश्वासपात्र माना जाता है. वे अन्ना आंदोलन के समय से संगठन में सक्रिय हैं. इस समय उनके पास सबसे ज्यादा मंत्रालयों की जिम्मेदारी है और जब मार्च में केजरीवाल जेल गए, तब से वो पार्टी से लेकर सरकार तक के मसले पर मोर्चा संभाले देखी गई हैं. मुख्यमंत्री को लेकर जिन अन्य नामों की चर्चा चल रही थी, उनमें कैलाश गहलोत, गोपाल राय और सौरभ भारद्वाज का नाम भी शामिल था.

जानिए आतिशी के बारे में...

आतिशी साल 2020 में पहली बार कालकाजी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बनीं. उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार धर्मवीर सिंह को 11 हजार 393 वोटों से हराया था. आतिशी का जन्म 8 जून 1981 को दिल्ली में हुआ. उनके पिता नामविजय सिंह दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे हैं. आतिशी ने स्कूली शिक्षा नई दिल्ली स्प्रिंगडेल स्कूल से की. उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज में हिस्ट्री से स्टडी की और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में शेवनिंग स्कॉलरशिप पर मास्टर की डिग्री हासिल की. ​​कुछ साल बाद उन्होंने शैक्षिक अनुसंधान में रोड्स स्कॉलर के रूप में ऑक्सफोर्ड से अपनी दूसरी मास्टर डिग्री हासिल की. उन्होंने मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में सात साल बिताए, जहां वो जैविक खेती और प्रगतिशील शिक्षा प्रणालियों से जुड़ीं. उन्होंने वहां कई गैर-लाभकारी संगठनों के साथ काम किया, जहां उनकी पहली बार AAP के कुछ सदस्यों से मुलाकात हुई और वो पार्टी की स्थापना के समय ही शामिल हो गईं.

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AAP की नीतियों को आकार देने में निभाई बड़ी भूमिका

आतिशी 2013 के विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के घोषणापत्र मसौदा समिति की प्रमुख सदस्य थीं. उन्होंने 'पार्टी के गठन के शुरुआती दौर में इसकी नीतियों को आकार देने' में अहम भूमिका निभाई. इसके अलावा आतिशी ने पार्टी प्रवक्ता के तौर पर दमखम से पक्ष रखा. केजरीवाल की तरह वो मनीष सिसोदिया की भी करीबी हैं. उन्होंने सिसोदिया की सलाहकार के रूप में भी काम किया और उनकी गैरमौजूदगी में शिक्षा मंत्रालय का भी काम संभाला.

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