एयर मार्शल अर्जन सिंह महज चार साल बाद अपने जीवन के सौ बसंत देख लेंगे लेकिन मंगलवार को जब वह राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा सम्मानित किए जाने के लिए मंच की ओर बढ़ रहे थे तो उनके झुर्रीदार चेहरे पर गर्व और दृढ़ता साफ देखी जा सकती थी. राष्ट्रपति 1965 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत की स्वर्ण जयंती के मौके पर उन्हें सम्मानित कर रहे थे.
एयरमार्शल सिंह (96 साल) भारतीय वायुसेना के एक मात्र अधिकारी हैं जिन्हें ‘फाइव स्टार जनरल’ के रैंक पर प्रोन्नति दी गयी थी. राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान 1965 के युद्ध के नायकों में से एक अर्जन सिंह छड़ी का सहारा लेकर राष्ट्रपति के पास तक पहुंचे और तालियों की गूंज के बीच उन्हें सैल्यूट किया. गौरतलब है कि राष्ट्रपति ने मंगलवार को पूर्व सैनिकों को जलपान पर बुलाया था. हालांकि वन रैंक वन पेंशन मुद्दे को लेकर पूर्व सैनिकों के एक तबके द्वारा इस कार्यक्रम का बहिष्कार भी किया गया. लेकिन इसके बावजूद कई पूर्व सैनिकों ने अपने परिवारों के साथ इसमें भाग लिया.
एयरमार्शल अर्जन सिंह 1965 में वायुसेना के प्रमुख थे और शत्रु को परास्त करने में उन्होंने बेहतरीन नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया था. युवा स्कवाड्रन लीडर के रूप में उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 1944 में जापान के खिलाफ अराकान अभियान में भाग लिया था और उन्हें ‘फ्लाइंग क्रॉस’ से नवाजा गया था. उन्हें जनवरी 2002 में मार्शल का रैंक प्रदान किया गया था. इस समारोह में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर समेत तीनों सेनाओं के प्रमुख भी मौजूद थे.
कार्यक्रम में कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबी को सम्मानित किया गया. हमीद को युद्ध में बहादुरी के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था. इस मौके पर दिवंगत ले. कर्नल ए बी तारापुर की पु़त्री जरीन माहिर को भी सम्मानित किया गया. ले. कर्नल तारापुर पूना हार्स के कमांडेंट थे और युद्ध के दौरान उनकी बहादुरी के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था.
इस समारोह में अशोक चक्र विजेता चमल लाल की पत्नी आशा रानी को भी सम्मानित किया गया. उनके पति चमन लाल ने सेना में रहते हुए भी अशोक चक्र जीता था. आपको बता दें कि चमन लाल युद्ध के दौरान उत्तर रेलवे में काम करते थे. 13 सितंबर 1965 को वह डीजल लदी एक मालगाड़ी में फायरमैन की ड्यूटी निभा रहे थे. गुरदासपुर रेलवे स्टेशन पर उनकी ट्रेन पाकिस्तानी युद्धक विमान के हमले की चपेट में आ गई. चमन लाल ने ज्वलशील पदार्थ से लदे डिब्बों को अलग अलग कर दिया था ताकि नुकसान से बचा जा सके. जिसके बाद उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था.