एम्स में प्रोफेसर के पदों को लेकर हो रहे प्रोमोशन प्रक्रिया पर विवाद शुरू हो गया है. हाल ही में इसके खिलाफ 64 सांसदों ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर इस प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की है.
आरोप है कि इस प्रक्रिया में सीनियर डॉक्टर्स को प्रोमोशन मिलेगा, जिन्हें नियमों का उल्लंघन करके नियुक्त किया गया. आरोप यह भी है कि कोर्ट के आदेशों के बावजूद अभी तक एम्स की नियुक्ति में आरक्षण संबंधी नियमों को भी ध्यान मे नहीं रखा जा रहा है.
खुद एम्स प्रशासन ने हाई कोर्ट में इस बात को स्वीकारा था कि उससे गलतियां हुई हैं और उसे ठीक किया जाएगा, लेकिन इसके बजाए एम्स उसी तरह से काम कर रहा है और आरक्षण की अनदेखी कर रहा है. फिलहाल, एम्स में लगभग 125 डॉक्टर्स को प्रोफसर पद में प्रोमोट करने की प्रक्रिया चल रही है.
इस बारे में एम्स प्रशासन की तरफ से कोई बात करने को तैयार नहीं है. कुछ डॉक्टर्स ने इसके खिलाफ आवाज तो उठाई है, लेकिन कोई फायदा नही हुआ. डॉकेटर्स का तो यहां तक कहना है कि खुद एम्स के निदेशक से लेकर प्रशासनिक अधिकारी और सभी डीन ओबीसी तथा एससी-एसटी कोटे से हैं. इसके बावजूद एम्स में ही आरक्षण को सबसे ज्यादा नजरअंदाज किया जा रहा है, जबकि यह मामला अदालत में लंबित है.