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केजरीवाल की तरह उनके प्रधान सचिव भी हैं IIT-ian, जानिए राजेंद्र कुमार के बारे में....

दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार को सीबीआई ने अरेस्‍ट कर लिया. भ्रष्टाचार के मामले में उनके साथ ही चार अन्य को भी गिरफ्तार किया गया. जानिए, कौन हैं राजेंद्र कुमार...

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केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार
केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार

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दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार को सीबीआई ने अरेस्‍ट कर लिया. भ्रष्टाचार के मामले में उनके साथ ही चार अन्य को भी गिरफ्तार किया गया. जानिए, कौन हैं राजेंद्र कुमार...

कौन हैं राजेंद्र कुमार?

-वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राजेंद्र कुमार फरवरी में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के प्रि‍ंसिपल सेकेट्री के रूप में नियुक्त हुए थे.

-कुमार 1989 बैच के आईएएस अधिकारी हैं.

- कुमार अरविंद केजरीवाल के पहले कार्यकाल में भी उनके सचिव रह चुके हैं.

-वह भी केजरीवाल की तरह आईआईटी दिल्ली से पासआउट हैं.

-कुमार शहरी विकास विभाग के साथ-साथ पावर और परिवहन विभाग के भी सचिव रह चुके हैं.

कुमार के खिलाफ सीबीआई को मिली थी शिकायत
सीबीआई को शिकायत मिली थी कि राजेंद्र कुमार बीते पांच साल में जहां भी रहे प्राइवेट कंपनियों को फायदा पहुंचाते रहे. सीबीआई ने राजेंद्र कुमार के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है.

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आशीष जोशी ने लगाए कुमार पर संगीन आरोप
वरिष्ठ नौकरशाह आशीष जोशी (पूर्व सदस्य दिल्ली डायलॉग कमीशन) ने एंटी करप्शन शाखा के चीफ एमके मीणा को लिखकर राजेंद्र कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे.

जोशी ने दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग द्वारा नियुक्त किए एसीबी चीफ मीणा से कुमार के खिलाफ जांच की मांग की थी जब कुमार स्वास्थ्य, शिक्षा और आईटी विभाग में रहे थे.

विवादों से पुराना नाता है
जोशी ने अपनी शिकायत में एसीबी चीफ मीणा से करते हुए कहा है कि मई 2002 से लेकर फरवरी 2005 तक शिक्षा विभाग के डायरेक्टर और उसके बाद आईटी में सचिव बनने के बाद और हेल्थ विभाग में कमिश्नर रहते हुए कुमार ने कई कंपनियों की स्थापना की और उन्हें बिना टेंडर के काम दिया था जिससे सरकार को आर्थिक नुकसान हुआ.

जोशी ने अपनी शिकायत में कुमार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि कुमार ने कुछ व्यक्तियों के साथ मिलकर एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई, 2007 में उन्होंने दिल्ली सरकार के आईटी विभाग में सचिव के पद पर रहते अपनी इस कंपनी को पीएसयू पैनल में शामिल कराया जो बिना टेंडर निकाले काम कर सकती थी.

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