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राजधानी दिल्ली में मौजूद UNHCR (शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र का उच्चायुक्त) दफ्तर के बाहर अफगानी नागरिकों का प्रदर्शन जारी है. वसंत विहार में गुरुवार को प्रदर्शन का चौथा दिन है. इन लोगों की मांग है कि अफगान में फंसे उनके रिश्तेदारों को जल्द से जल्द निकाला जाए. UNHCR दफ्तर के बाहर जमा लोगों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. ये लोग रिफ्यूजी कार्ड, पुराने बंद कुछ केसों को खोलने और दूसरे देशों में शरण की इजाजत की मांग कर रहे हैं.
प्रदर्शन में 38 साल के अहमद खान अंजाम भी शामिल हैं. अफगान मूल के इस अंग्रेजी टीचर की बहन और मां अफगानिस्तान में फंस गए हैं. UNHCR के अधिकारियों और मीडिया के लोगों तक प्रदर्शन कर रहे अफगानों की बात यही पहुंचा रहे हैं.
बहन और मां के लिए परेशान हैं अहमद खान
अहमद खान ने कहा, 'मैं काबुल में अनुवादक का ही काम करता था. मैं बेहतर जीवन के लिए भारत आया था और मां-बहन को भी यहीं बुलाना चाहता था. लेकिन इसी बीच तालिबान ने वहां कब्जा कर लिया. किसी ने सोचा नहीं था कि ऐसा हो जाएगा. मुझे अपने परिवार-रिश्तेदारों की चिंता है. मैं चाहता हूं कि मेरी बहन और मां को शरण मिले. बिना रिफ्यूजी के दर्जे और सही दस्तावेजों के बिना हम किसी भी देश में शरण के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं.'
रिफ्यूजी का दर्जा ना होने पर क्या परेशानी होती हैं, अहमद खान ने वह भी बताया. उन्होंने कहा कि मैं और मेरे जैसे हजारों अफगान नागरिकों के पास वैध स्थानीय पहचान प्रमाण नहीं है. ऐसे में सिम कार्ड खरीदना तक मुश्किल हो जाता है, उच्च शिक्षा के लिए एडमिशन की बात तो छोड़ ही दीजिए. अहमद फिलहाल दिल्ली में फिलहाल इंग्लिश स्पीकिंग की कोचिंग देते हैं. वह कई अफगानों को ट्रांसलेशन भी सिखा रहे हैं.