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मैडम हुई टल्ली तो पब और क्लब से बाहर का रास्ता दिखाएंगी 'बाउंसर दीदी'

लब और पब मालिकों का कहना है कि लेडी बाउंसर न सिर्फ महिलाओं के हंगामे को नियंत्रित करने के लिए होंगी, बल्कि‍ ये उनके लिए कवच का काम भी करेंगी. यानी अगर कोई पब में महिलाओं के साथ अभद्रता करते पाया जाता है तो उसकी सामत तय है.

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पब में तैनात लेडी बाउंसर
पब में तैनात लेडी बाउंसर

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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में देर रात शराब पीकर महिलाओं के हंगामे से निजात पाने के लिए पब मालिकों ने नई तरकीब निकाली है. इसके तहत अब पब और क्लब मालिकों ने मेल बाउंसर की तर्ज पर लेडी बाउंसर को अप्वाइंट कर लिया है. यानी अब अगर कोई महिला टल्ली होकर हंगामा करती है तो लेडी बाउंसर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने में जरा भी गुरेज नहीं करने वाली है.

इतना ही नहीं, क्लब और पब मालिकों का कहना है कि लेडी बाउंसर न सिर्फ महिलाओं के हंगामे को नियंत्रित करने के लिए होंगी, बल्कि‍ ये उनके लिए कवच का काम भी करेंगी. यानी अगर कोई पब में महिलाओं के साथ अभद्रता करते पाया जाता है तो उसकी सामत तय है.

साइज जीरो की इनको नहीं फिक्र
यह दिलचस्प है कि जहां एक तरफ हर लड़की आज की तारीख में साइज जीरो के लिए दिन-रात एक किए रहती है, वहीं लेडी बाउंसर खुद को हट्टी-कट्टी बनाए रखने के लिए लगी रहती हैं. पहले जमकर एक्सरसाईज, फिर दम भर खाना और रात को मनचलों को अपने दबंग रवैये से डराना. ऐसी ही एक लेडी बाउंसर सुनीता 28 साल की हैं और दो बच्चों की मां हैं. वह दिल्ली के एक नामी पब में रात के दो बजे तक ड्यूटी करती हैं.

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50 की उम्र में करती हैं अच्छे-अच्छों की छुट्टी
सुनीता कहती हैं, 'यह काम मुझे अच्छा लगता है. मुहल्ले में लड़के मुझे बाउंसर दीदी कहते हैं.' एक फाईव स्टार होटल के क्लब बीडब्लू में काम करने वाली पॉलिना की उम्र पचास साल से ज्यादा है. लेकिन उनकी दबंग पर्सनैलिटी देखकर बड़े से बड़ा हुड़दंगी भी चुप होकर बैठ जाता है. पॉलिना का कहना है कि साइज जीरो उनको बेरोजगार कर देगा. उनका काम डर से चलता है और डराने के लिए काया बड़ी होनी जरूरी है.

पॉलिना कहती हैं, 'क्लब में मेरी मौजूदगी में लड़कियां बेफिक्र रहती हैं. कभी अगर कोई लड़की ज्यादा शराब पी ले और अकेली हो तो ऐसे में उसको घर तक पहुंचाने का काम हम लेडी बाउंसर करते हैं.' क्लब के मैनेजर अनुराग का कहना है कि लेडी बाउसंर आज की जरूरत बन गई है. इनके बिना क्लब नहीं चल सकता.

शाम सात बजे से शुरू होती है ड्यूटी
लेडी बाउंसर्स का काम नाइट क्लब में शाम 7 बजे से शुरू हो जाता है, जबकि वह आधी रात के बाद ही घर लौट पाती हैं. लेडी बाउंसर रजनी कहती हैं, 'हमारा काम सुरक्षा करना है. हम देखते रखते हैं. अगर माहौल खराब हुआ तो दो ग्रुपों को अलग कर देते हैं. कई बार मामला बढ़ भी जाता है, लेकिन यह रोज का काम है.' पब मालिक प्रशांत कहते हैं, 'हमने समय की जरूरत समझी और लेडी बाउंसर को रखा. पब में हर तरह के लोग आते हैं. हमारे लिए महिलाओं की सुरक्षा अहम है.'

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