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शराब नीति पर RTI के बाद जनसुनवाई कर केजरीवाल सरकार को घेरने में जुटा स्वराज अभियान

प्रशांत भूषण ने जनसुनवाई के दौरान कहा कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड के मुताबिक देश में महिलाओं के खिलाफ जितने भी अत्याचार होतें हैं, उनमें शराब सबसे बड़ा कारक है.

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पहले आरटीआई से दिल्ली सरकार को घेरा
पहले आरटीआई से दिल्ली सरकार को घेरा

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पिछले कई दिनों से केजरीवाल सरकार द्वारा दिल्ली में खोली गई शराब की दुकानों और दिल्ली सरकार की शराब नीति का विरोध कर रहे स्वराज अभियान ने दिल्ली के इलाकों में शराब ठेके के विरोध में जनसुनवाई की. पिछले कुछ दिनों से आरटीआई के जरिए दिल्ली सरकार की शराब नीति का विरोध करने वाली स्वराज अभियान अब जनता का समर्थन लेकर सड़क पर उतर आई है.

स्वराज अभियान ने वजीरपुर कोटला मुबारक के रिहायशी इलाके में खुले शराब के ठेके के खिलाफ जनसुनवाई की. कोटला मुबारकपुर के निवासियों से साथ स्वराज अभियान के नेताओं ने इस शराब के ठेके को बंद करने की मांग की. जनसुनवाई के दौरान स्वराज अभियान ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार से निम्नलिखित मांग किए-

1. इतने गंभीर मुद्दे पर, इतने चौंकाने वाले खुलासे होने के बाद भी दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के पास ना ही कोई खंडन, ना ही कोई सफाई. सरकार अपनी चुप्पी तोड़े.

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2. सभी श्रेणीयों के ठेकों से हुई शराब की कुल खपत की सही जानकारी दी जाए, और नशे पर काबू ना पाने के कारण बताये जाएं.

3. रिहायशी इलाकों में स्थानीय लोगों की मर्जी के खिलाफ खुले शराब के ठेकों को तय समय-सीमा में हटाया जाए. स्वराज अभियान इस मुहिम को आंदोलन का रूप देगा.

4. दिल्ली सरकार स्वराज बिल में यह प्रावधान करे कि शराब के ठेके खोलने के लिए स्थानीय निवासियों (50% महिला) की इजाजत लेना अनिवार्य हो. साथ ही पुराने शराब के ठेकों के बंद करवाने का निर्णय भी स्थानीय निवासियों, विशेषकर महिलाओं के हाथ में हो.

5. दिल्ली सरकार के मध निषेध विभाग ने शराब से दूर रहने के विज्ञापनों पर सिर्फ 7.76 (लाख) रुपये खर्च किए. इस खर्चे का भी सरकार के पास ब्योरा उपलब्ध नहीं है. स्वराज अभियान यह मांग करता है कि इस राशि को बढ़ाया जाए और इसका विस्तृत ब्योरा उपलब्ध कराया जाए. सरकार दिल्ली को नशा मुक्त बनाने के अपने चुनावी वादों के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाए.

6. दिल्ली सरकार अपनी अगली आबकारी नीति तय करने से पहले, नीति का डॉफ्ट चर्चा और सुझावों के लिए सार्वजनिक करे.

स्वराज अभियान के अनुपम ने कहा कि आज हमें यह प्रण लेना है कि जब तक वजीरनगर का यह ठेका नहीं हटाया जाता, इस मुहिम को जारी रखते हुए अंजाम तक पहुंचाया जाएगा.

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प्रशांत भूषण ने जनसुनवाई के दौरान कहा कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड के मुताबिक देश में महिलाओं के खिलाफ जितने भी अत्याचार होतें हैं, उनमें शराब सबसे बड़ा कारक है. रिहायशी इलाकों में 100 मीटर के दायरे में शराब का ठेका नहीं खोले जाने के कानून को 2010 में सरकार ने बदल डाला था. उन्होंने कहा कि इसको लेकर आम आदमी पार्टी के प्रारंभक दिनों में स्वराज बिल के तहत एक नीति बनाई गई थी. परंतु अरविंद की सरकार बनते ही इसके ठीक उलट हो गया. उन्होंने कहा कि कोटला मुबारकपुर से जो यह बिगुल बजी है वह फिर से दिल्ली में एक नई क्रांति लाएगी.

स्वराज अभियान का कहना है कि आम लोगों में व्याप्त गुस्से और रोष को देखते हुए वो इस आंदोलन को पूरे दिल्ली में चलाएगा. स्थानीय जनता की मर्जी के खिलाफ चल रहे ठेकों के विरुद्ध संघर्ष जारी रखेगा. स्वराज अभियान के इस जनसुनवाई कार्यक्रम में स्थानीय लोग बड़ी संख्या में मौजूद थे, जिन में महिलाओं की संख्या भी अच्छी खासी थी. सभी ने एक स्वर में शराब की दुकान हटाने की मांग की.

ठेके से सौ मीटर दूर हुई जनसुनवाई
स्वराज अभियान द्वारा इस जन सुनवाई होने के विरोध में और इसे रुकवाने के लिए शराब ठेका मालिक कोर्ट चले गए थे, जहां कोर्ट में उन को राहत देते हुए किसी भी प्रकार का प्रदर्शन ठेके के 50 मीटर के दायरे में करने पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद स्वराज अभियान में नियम का पालन करते हुए शराब ठेके से दूर जनसुनवाई की.

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पहले आरटीआई से घेरा अब जन सुनवाई की
स्वराज अभियान लगातार दिल्ली सरकार पर शराब की दुकानों की बेतहाशा वृद्धि करने का आरोप लगा रही है. इसी क्रम में बीते दिनों स्वराज अभियान में आरटीआई के जरिए दिल्ली सरकार को शराब माफियाओं का समर्थन करना बताया था, वही अब स्वराज अभियान सड़क पर उतर कर शराब ठेकों के विरोध करने की बात कर रही है. अभियान का यह भी कहना है कि अगर दिल्ली सरकार अभी भी नहीं चेती तो वह इस मुद्दे को आंदोलन की शक्ल दे देंगे.

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