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राहुल गांधी की तरह ही मोहम्मद फैजल की भी गई थी सांसदी, दो महीने बाद बहाली की समझें पूरी कहानी

लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल की सांसदी और लोकसभा सदस्यता बुधवार को बहाल कर दी गई. कवरत्ती की एक सत्र अदालत ने हत्या के प्रयास के एक मामले में दोषी ठहराते हुए उन्हें 10 साल के कारावास की सजा सुनाई थी. इसके बाद लोकसभा ने नोटिफिकेशन जारी करके उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी थी.

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राहुल गांधी की ही तरह मोहम्मद फैजल की भी गई थी सांसदी
राहुल गांधी की ही तरह मोहम्मद फैजल की भी गई थी सांसदी

लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल की लोकसभा सदस्यता फिर से बहाल हो गई है. केरल हाई कोर्ट द्वारा उनका कन्विक्शन रद्द किए जाने के बाद सदस्यता बहाली की उनकी प्रक्रिया लंबित थी, जिसे लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी हुई. इसके एक दिन बाद लोकसभा की ओर से उनकी सदस्यता बहाल कर दी गई और अब वह दोबारा लक्षद्वीप के सांसद हैं. इस पूरे मामले को राहुल गांधी की सदस्यता जाने के नए ताजा तरीन मामले से जोड़कर देखा जा रहा है. 

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ये इसलिए भी अहम है, क्योंकि अभी हाल  ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी लोकसभा सदस्यता गंवाई है. मोदी सरनेम केस में सूरत सेशंस कोर्ट ने उन्हें दोषी माना और दो साल की सजा सुनाई. राहुल गांधी वायनाड से सांसद थे और इस मामले में दोषी साबित होने के बाद वायनाड आगामी लोकसभा चुनाव होने के एक साल पहले बिना सांसद का हो गया है. इसके बाद से कयास और अटकलें जारी हैं कि क्या राहुल गांधी की सदस्यता बहाल हो पाएगी? क्या राहुल गांधी अगला आम चुनाव लड़ पाएंगे? इन सभी सवालों के कारण एनसीपी के सांसद मोहम्मद फैजल की सांसदी जाना और फिर उसका बहाल होना इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है कि क्या इसी आधार पर राहुल गांधी भी संसद में वापसी कर सकेंगे. 

लोकसभा सचिवालय ने जारी किया नोटिफिकेश

सांसद मोहम्मद फैजल की सांसदी जाने का पूरा घटनाक्रम

राहुल गांधी और मोहम्मद फैजल के मामले की तुलना के लिए हमें एनसीपी सांसद की पूरी प्रक्रिया को पहले समझना होगा कि उनके साथ क्या हुआ और उन्होंने किन कानूनी प्रक्रियाओं के जरिए अपनी सदस्यता वापस पा ली है. आइए इसे तारीखों के आधार पर सिलसिलेवार देखते और समझते हैं.  

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एनसीपी सांसद मोहम्मद फैजल, राहुल गांधी (फाइल फोटो)
एनसीपी सांसद मोहम्मद फैजल, राहुल गांधी (फाइल फोटो)
 

11 जनवरी 2023: कवरत्ती सेशंस कोर्ट ने सांसद फैजल को हत्या के प्रयास मामले में दोषी माना और 10 साल कारावास की सजा सुनाई.

12 जनवरी 2023: मोहम्मद फैजल ने सत्र अदालत के फैसले के खिलाफ (दोषी ठहराने पर रोक और जमानत) केरल हाई कोर्ट में अपील की.

13 जनवरी 2023: लोकसभा सचिवालय ने नोटिफिकेशन जारी कर सदस्यता रद्द की और इसे सजा की तारीख से ही प्रभावी बताया.

18 जनवरी 2023: चुनाव आयोग ने लक्षद्वीप में उपचुनाव की घोषणा की. फैजल ने आयोग के प्रेस नोट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.

25 जनवरी 2023: केरल हाई कोर्ट ने कन्विक्शन रद्द कर दिया.

27 जनववरी 2023: चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर कानून के तहत फैसला लेगा.

इसके बाद लगातार मोहम्मद फैजल ने कई ज्ञापन दिए थे, लेकिन लोकसभा सदस्यता जाने के 13 जनवरी के नोटिफिकेशन को वापस नहीं लिया गया था. इसके बाद इस मामले में वकील अभिषेक मनु सिंघवी की दलील के आधार पर मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला की पीठ उनके मामले की सुनवाई के लिए राजी हो गई थी. मंगलवार को इस मामले की सुनवाई हुई औऱ इसके ठीक एक दिन बाद सांसद की सदस्यता बहाल हो गई. 

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इस मामले पर कांग्रेस के दिग्गज नेता और वकील अभिषेक सिंघवी, सलमान खुर्शीद और पी चिदंबरम जैसे नेताओं ने कोई कदम नहीं उठाया है. वहीं इस मामले पर वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस नेता अभिषेक सिंघवी ने आजतक को बताया कि सूरत की अदालत का आदेश 172 पेज लंबा और गुजराती में था, जिसके अनुवाद और अध्ययन में समय लगेगा.

राहुल गांधी को मिली है 30 दिनों की मोहलत

अब राहुल गांधी के मामले पर नजर डालें तो सूरत सेशंस कोर्ट ने 'मोदी सरनेम' टिप्पणी पर राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई है. अभी 30 दिन की मोहलत मिली हुई है. यह मोहलत बड़ी बात है. राहुल गांधी मामले मे एक्सपर्ट का कहना है कि जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत सांसद या विधायक सजा के सस्पेंड रहने और दोषी करार देने वाले फैसले पर रोक लगने के बाद ही अयोग्यता से बचा जा सकता है. दो साल या उससे ज्यादा की सजा पर कोई भी जन प्रतिनिधि अपने आप अयोग्य हो जाएगा.

अगर अपील करने पर सजा निलंबित होती है तो अयोग्यता भी अपने आप खत्म हो जाएगी. अगर ऐसा नहीं हुआ तो सजा काटने के बाद राहुल गांधी पर 2029 तक के राजनीतिक करियर पर ग्रहण है. ऐसे में बहुत कुछ इन्हीं 30 दिनों में निर्भर करने वाला है. सदस्यता जाने के बाद कांग्रेस संसद से सड़क तक इस मामले की लड़ाई लड़ रही है. देखना यह है कि अगर राहुल गांधी का मामला भी शीर्ष अदालतों की ओर बढ़ता है तो इसका क्या रुख देखने को मिलेगा. 

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