प्रीमियम ट्रेनों में ‘फ्लेक्सी’ किराये के तहत सरकार ने भारी रकम प्राप्त किया है. राजधानी, शताब्दी और दुरन्तो जैसी प्रीमियम ट्रेनों में ‘फ्लेक्सी’ किराया व्यवस्था को लागू किये जाने के बाद रेलवे ने 671 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई की है.
शुक्रवार को संसद में सरकार ने अपनी कमाई के इस आंकड़े की जानकारी दी. बता दें कि ‘फ्लेक्सी’ किराया फार्मूला के तहत हर 10 प्रतिशत बर्थ की बुकिंग होने के साथ आधार किराया 10 से 50 प्रतिशत तक बढ़ जाता है.
रेल राज्यमंत्री राजेन गोहेन ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को बताया कि ‘फ्लेक्सी’ किराया व्यवस्था को सितंबर 2016 में शुरू किया गया था और नवंबर 2017 तक इस योजना से होने वाली अतिरिक्त आय, पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले, करीब 671 करोड़ रुपये की हुई.
गोहेन ने कहा कि रेलवे ने हाल में इस व्यवस्था को देखने के लिए एक समिति का गठन किया था तथा यात्रियों और रेलवे के हितों को ध्यान में रखकर बेहतरीन विकल्प को सुझाने को कहा था.
घाटा कम करने के लिए रेलवे ने उठाया था कदम
बता दें कि रेल मंत्रालय ने दुरंतो, राजधानी और शताब्दी में फ्लेक्सी फेयर सिस्टम लागू किया गया है. इसके तहत 10 फीसदी सीट बुक होने पर बेस फेयर में 10 फीसदी का इजाफा हो होता है. रेलवे ने यह फैसला घाटे से उबरने के लिए लिया था.
ऐसा है ‘फ्लेक्सी’ किराये का गणित
इस सिस्टम के तहत इन सभी ट्रेनों में उपलब्ध सीटों में से 10 फीसदी सीटों की बुकिंग मूल किराए पर होती है. यानी अगर किसी जगह का मूल किराया 100 रुपये है तो पहले 10 फीसदी टिकट 100 रुपये के बेस प्राइस पर बुक होगें. 10 फीसदी सीटों की बुकिंग के बाद राजधानी और दूरंतों के अगले 10 फीसदी टिकट 110 रुपये के आधार पर बुक होंगे. इसके बाद अगले 20 फीसदी टिकट की बुकिंग के बाद अगले 10 फीसदी टिकट 120 रुपये पर बुक होगें. 30 फीसदी टिकट बुक होने के बाद अगले 10 फीसदी टिकट 130 रुपये पर बुक होंगे. इसी तरह 40 फीसदी टिकट बुक होने के बाद अगले अगले 10 फीसदी टिकट की बुकिंग 140 रुपये के दर पर होगी.