आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा के लिए अपने तीनों उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. इनमें संजय सिंह, सुशील गुप्ता और एनडी गुप्ता का नाम शामिल है. केजरीवाल ने पार्टी और संगठन से सिर्फ संजय सिंह का नाम शामिल किया है, बाकि जिन दोनों नेताओं के नाम पर मुहर लगी है उनका ताल्लुक पार्टी से नहीं है. कुमार विश्वास के नाम को दरकिनार करके केजरीवाल ने जिस तरह एनडी गुप्ता और सुशील गुप्ता को राज्यसभा में भेजने का फैसला किया है, उससे सवाल उठ रहा है कि ये केजरीवाल की आदर्शवादी सियासत है या फिर जातिवादी?
आम आदमी पार्टी करप्शन के खिलाफ छिड़े आंदोलन से निकली पार्टी है. केजरीवाल के साथ कई नेताओं ने इस पार्टी को खड़ा किया, लेकिन राज्यसभा के लिए ऐसे नेताओं में से एकलौते संजय सिंह के नाम पर मुहर लगी है. पार्टी के संस्थापक सदस्य कुमार विश्वास राज्यसभा जाने की उम्मीद लगाए बैठे थे. लेकिन केजरीवाल ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया है. कुमार विश्वास ने भरे मन से कहा कि राज्यसभा के लिए जिन नामों को केजरीवाल ने चुना उन्हें बधाई.
केजरीवाल ने अन्ना आंदोलन से अलग होकर देश में आदर्शवादी राजनीति करने की बातें कही थीं, लेकिन वक्त बे वक्त वो अपने समाज और जाति का जिक्र करना नहीं भूलते. विधानसभा चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के नेहरू प्लेस में कारोबारियों की एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था, 'मैं बनिया हूं और धंधा समझता हूं. उन्होंने कहा मूल्य वर्धित कर विभाग द्वारा चलाये जा रहे जबरन वसूली और छापेमारी गिरोह को समाप्त किया जाएगा. उन्होंने कारोबारियों को लुभाने के लिए कई कदम उठाने का भी एलान किया.' केजरीवाल ने कहा था कि अग्रवाल समुदाय इस देश की इकॉनमी की रीढ़ की हड्डी है.
आम आदमी पार्टी की पीएसी में भी वैश्य समुदाय के तीन सदस्य हैं. इनमें केजरीवाल, अशुतोष और पंकज गुप्ता वैश्य समुदाय से हैं. राज्यसभा भेजने की बात आई तो केजरीवाल की नजर वैश्य समुदाय पर ही जाकर टिकी. पार्टी के दिग्गज नेताओं को दरकिनार करके उन्होंने सुशील गुप्ता और एनडी गुप्ता के अलावा संजय सिंह को चुना है. ऐसे में सोशल मीडिया पर भी उन्हें जातिवादी राजनीति करने के आरोप लगाकर निशाने पर लिया जा रहा है.
आम आदमी पार्टी की सर्वोच्च निर्णायक इकाई में भी आम आदमी की राजनीति करने का दावा करने वालों ने सभी 11 सदस्य सवर्ण हैं. दूसरी ओर पार्टी के 25 नेशनल कन्वेनर्स में से भी एक-दो नाम छोड़कर सभी सवर्ण हैं. पार्टी के दिल्ली में केजरीवाल सहित 7 मंत्री हैं जिनमें से 5 सवर्ण हैं. जाहिर है अरविंद केजरीवाल के लिए जातिवादी राजनीति को लेकर अपने ऊपर उठ रहे सवालों का जवाब देना आसान नहीं होगा.