सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मध्यस्थता के जरिए इस विवाद को सुलझाया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े, साधना रामचंद्रन और वजाहत हबीबुल्लाह को नियुक्त किया गया है.
राकेश सिन्हा ने कहा, 'शहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए कुछ लोगों को नियुक्त किया है. वे जानेंगे कि नागिरकता संशोधन कानून के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शन की मांग क्या है ? अगर सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्थता के बाद भी प्रदर्शनकारी मौके से नहीं हटते हैं तो यह माना जाएगा कि उनकी मंशा देश के सौहार्द को बिगाड़ने की है.
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राकेश सिन्हा ने कहा कि अभी तक यह तय नहीं है कि शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कौन कर रहा है. कौन लोगों को गृह मंत्री से मिलाना चाहता है. एक बात साफ है कि सरकार पर सीएए पर कोई तब्दीली नहीं करेगी. सीएए को वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता है.
'सड़क किसी समुदाय की नहीं'
राकेश सिन्हा प्रदर्शनकारियों से खासे नाराज नजर आए. राकेश सिन्हा ने कहा, शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी जिस सड़क प्रदर्शन कर रहे हैं, बीते 2 महीने से जिस सड़क को बंद किया है, वह किसी एक समुदाय की नहीं है.'
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हालांकि विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि जब तक सरकार सीएए को वापस नहीं लेती है, प्रदर्शनकारी पीछे नहीं हटेंगे.
रास्ता बंद करने का अधिकार किसी को नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने शाहीनबाग पर चल रही सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि देश में प्रोटेस्ट का अधिकार सबको है लेकिन सड़क बंद करने का अधिकार सबको नहीं है. माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट की पहल शाहीनबाग के प्रदर्शनकारी मध्यस्थता के बाद प्रदर्शन खत्म कर सकते हैं.