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राम निवास गोयल बोले- दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष में संवैधानिक समझ की कमी

दिल्ली विधानसभा की कमेटी दो मामलों की जांच कर रही है. जिसमें मामला अश्वनी कुमार और वर्तमान चीफ सेक्रेटरी से जुड़ा है. जैसे ही कमेटी ने अश्वनी कुमार को तलब किया वैसे ही अश्वनी कुमार ने कोर्ट में जाकर स्टे ले लिया.

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दिल्ली विधानसभा स्पीकर रामनिवास गोयल
दिल्ली विधानसभा स्पीकर रामनिवास गोयल

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दिल्ली विधानसभा स्पीकर रामनिवास गोयल ने बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी के संवैधानिक समझ पर ही सवाल खड़ा कर दिया. दरसअल ये विवाद तब उठा जब रामनिवास गोयल ने हाई कोर्ट के जज को चिट्ठी लिखी और फिर वापस ले ली.

दिल्ली विधानसभा की कमेटी दो मामलों की जांच कर रही है. जिसमें मामला अश्वनी कुमार और वर्तमान चीफ सेक्रेटरी से जुड़ा है. जैसे ही कमेटी ने अश्वनी कुमार को तलब किया वैसे ही अश्वनी कुमार ने कोर्ट में जाकर स्टे ले लिया.

2012 के घोटाला मामले में वर्तमान में चीफ सेक्रेटरी और 2012 में प्रिंसिपल सेक्रेटरी से मामले से सम्बंधित कागज़ मांगे लेकिन चीफ सेक्रेटरी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटा कर स्टे ले लिया. जिसके बाद इस मामले को लेकर विधानसभा स्पीकर ने चिट्ठी लिखी. जिसमें ये लिखा गया था कि कोर्ट को दूसरे संवैधानिक संस्था के मसले पर हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. लेकिन फिर बाद में इसे वापस ले लिया गया. जिसके बाद विवाद खड़ा हुआ.

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इस पर दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने संवैधानिक दायरे में काम नहीं करने का आरोप लगाकर विधानसभा स्पीकर का इस्तीफा मांगा. जिसपर राम निवास गोयल ने कहा कि मनोज तिवारी को संवैधानिक अध्ययन की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि विधानसभा कमेटी के पास भी संवैधानिक अधिकार हैं उसी के तहत काम किया है. लेकिन जब अश्वनी कुमार के खिलाफ आरोपों पर जांच की तो वो दूसरे संवैधानिक संस्था यानी कॉर्ट से स्टे ले आए. उन्होंने कहा कि मैंने अपने लेटर में कॉन्फिडेंशियल लिखा था और उसी के तहत मैंने ये लिखा कि दो संवैधानिक संस्था के बीच टकराव हो संविधान के लिए ठीक नहीं. लेकिन जज साहिब ने उसे मेरा पिटीशन मान लिया जबकि वो कॉन्फिडेंशियल था. उन्होंने कहा कि मेरा मकसद दो संवैधानिक पदों के टकराव को रोकना था. इसलिए जब जज ने उसे पिटीशन मान लिया तो मैंने दोबारा चिट्ठी लिखी और कोर्ट से वापस मांग ली. क्योंकि में नहीं चाहता था कि अब हाई कोर्ट में दो संवैधानिक संस्थाओं के अधिकरों पर चर्चा शुरू हो इसलिए वापस मांग ली.

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