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रामचरितमानस की प्रतियां जलाने का मामला, स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ दिल्ली में शिकायत दर्ज

स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ दिल्ली के पश्चिम विहार थाने में शिकायत दर्ज की गई है. उन पर रामचरितमानस की प्रतियां जलाने और फाड़ने का आरोप है. बिहार से शुरू हुआ रामचरितमानस विवाद उत्तर प्रदेश होते हुए दिल्ली तक आ पहुंचा. स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिन पर हमें आपत्ति है. क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है.

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स्वामी प्रसाद मौर्य-फाइल फोटो
स्वामी प्रसाद मौर्य-फाइल फोटो

रामचरितमानस का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसकी प्रतियां जलाने और फाड़ने को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ अब दिल्ली के पश्चिम विहार थाने में शिकायत दर्ज की गई है. महादेव सेना के अध्यक्ष पंकज नंदा ने शिकायत दर्ज कराई है. नंदा का कहना है कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस का अपमान किया है. शिकायत के बाद दिल्ली पुलिस जांच में जुट गई है.

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बिहार से शुरू हुआ था विवाद
गौरतलब है कि बिहार से शुरू हुआ रामचरितमानस विवाद उत्तर प्रदेश होते हुए दिल्ली तक आ पहुंचा है. पिछले दिनों यूपी की राजधानी लखनऊ में रामचरितमानस की प्रतियां जलाई गईं, जिसके बाद लगभग एक दर्जन लोगों के ऊपर एफआईआर दर्ज हुई. समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के ऊपर भी एफआईआर दर्ज की गई.

ऐशबाग निवासी सतनाम सिंह ने रामचरितमानस की प्रतियां जलाने वालों के खिलाफ पीजीआई थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. प्रतियां जलाने में जो लोग शामिल थे सभी को एफआईआर में आरोपी बनाया गया. लखनऊ में स्वामी प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में ओबीसी सम्मेलन आयोजित किया गया था. इसमें कुछ लोगों ने रामचरितमानस की प्रतियां जलाई थी.

मौर्य के समर्थन में ओबीसी महासभा
दरअसल, रामचरितमानस को लेकर समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के दिए विवादित बयान के समर्थन में ओबीसी महासभा भी है. ओबीसी महासभा ने पिछले दिनों लखनऊ में प्रदर्शन किया और रामचरितमानस की प्रतियों को जलाया था. समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है. यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है.

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स्वामी प्रसाद मौर्य यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा था कि सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरितमानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए. 

मौर्य ने जताई थी आपत्ति
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिन पर हमें आपत्ति है. क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है. तुलसीदास की रामायण की चौपाई है. इसमें वह शुद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं. इस पूरे विवाद की शुरुआत बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर के एक बयान से हुई थी. 
 

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