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रामजस केस में दिल्ली महिला आयोग का पुलिस को नोटिस, पूछे 7 सवाल

दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज व मोरिस नगर थाने के बाहर छात्रों के दो गुटों के बीच हुई झड़प के दौरान पुरुष पुलिसवालों द्वारा छात्राओं के साथ मारपीट करने की घटना पर आयोग ने संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. इसके साथ ही आयोग ने पुलिसिया दुर्व्यवहार के आरोपों की जांच के समिति बैठाते हुए सभी छात्रों और प्रोफेसर से जवाब देने को कहा है.

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रामजस कॉलेज के बाहर प्रदर्शनकारी छात्राओं पर पुलिस द्वारा दुर्व्यवहार के आरोप
रामजस कॉलेज के बाहर प्रदर्शनकारी छात्राओं पर पुलिस द्वारा दुर्व्यवहार के आरोप

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दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज व मोरिस नगर थाने के बाहर छात्रों के दो गुटों के बीच हुई झड़प के दौरान पुरुष पुलिसवालों द्वारा छात्राओं के साथ मारपीट करने की घटना पर आयोग ने संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. इसके साथ ही आयोग ने पुलिसिया दुर्व्यवहार के आरोपों की जांच के समिति बैठाते हुए सभी छात्रों और प्रोफेसर से जवाब देने को कहा है.

ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर को भेजी नोटिस में महिला आयोग ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा है कि अखबारों और वीडियो फुटेज में प्रदर्शन कर रही लड़कियों के साथ पुरुष पुलिसकर्मी मारपीट करते दिख रहे हैं. ऐसे पुलिसवालों के साथ सख्ती से निपटते हुए उन्हें सजा दी जानी चाहिए. लड़कियों को जिस तरह पकड़ कर घसीटा गया, वह एक तरह से उनके साथ छेड़छाड़ है. लड़कियों के साथ मारपीट की घटना से पूरे देश में दिल्ली पुलिस की साख पर बट्टा लगा है.

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दिल्ली महिला आयोग ने साथ कहा है कि वह एक अखबार में आई उस खबर से हैरान है, जिसमें कहा गया है कि दिल्ली पुलिस को यह पता ही नहीं कि प्रदर्शन करने वालों पर लाठीचार्ज करने के आदेश किसने दिए थे. इस तरह की बातें पुलिस के राजनीतिकरण के शक को और बढ़ाते हैं.

आयोग ने अपनी इस नोटिस में कहा है, 'इससे पहले भी दिल्ली पुलिस ने जेएनयू के छात्र नजीब की गुमशुदगी को लेकर प्रदर्शन कर रही लड़कियों के साथ अभद्रता और मारपीट की थी. एक प्रदर्शनकारी महिला ने पुलिसवालों पर छेड़छाड़ का आरोप भी लगाया था, लेकिन शर्म की बात यह है कि अभी तक इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की गई. आयोग की ओर से एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश के बाद भी उस समय के पुलिस कमिश्नर ने इस घटना पर आंख बंद कर ली. रामजस कॉलेज की घटना से दिल्ली पुलिस की लापरवाही साफ नजर आती है. अगर नजीब की गुमशुदगी को लेकर प्रदर्शन कर रही महिलाओं के साथ गलत व्यवहार करने वाले पुलिसवालों के खिलाफ तब कार्रवाई की जाती, तो इससे गड़बड़ी करने वाले पुलिसकर्मियों को कड़ा संदेश जाता और दोबारा इस तरह की घटना नहीं दोहरायी जाती.

दिल्ली महिला आयोग ने इस मामले जांच शुरू कर दी है और पुलिस से इस घटना से जुड़ी कई सूचनाएं देने के लिए कहा है, जो इस प्रकार है.
1. आयोग ने पुलिस से पूछा है कि रामजस कॉलेज के बाहर और मोरिस नगर थाने के बाहर प्रदर्शनकारियों के लिए कितनी महिला व पुरुष पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे.
2. महिला आयोग ने उन पुलिसकर्मियों के नाम व पद बताने के लिए कहा है, जिनकी महिला प्रदर्शनकारियों के साथ मारपीट करती तस्वीरें आई हैं. 3. इसके साथ ही उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ की कार्रवाई की भी जानकारी पुलिस से मांगी गई है.
4. इसके अलावा विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस बल का नेतृत्व कर रहे और लाठीचार्ज का आदेश देने वाले पुलिस अधिकारी का भी नाम व पद बताने को कहा है.
5. इस दौरान क्या पुलिस ने निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया और क्या लाठीचार्ज के लिए किसी उच्च अधिकारी से अनुमति ली गई थी. अगर अनुमति नहीं ली गई तो उसका कारण बताया जाए.
6. इस मामले कोई शिकायत या एफआईआर दर्ज हुई है, तो उसकी कॉपी आयोग को दी जाए.
7. भविष्य में ऐसी घटना दोबारा न दोहरायी जाए, इसके लिए पुलिस क्या कदम उठाने वाली है इसकी जानकारी भी दी जाए.

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