दिल्ली की एक अदालत ने 2010 में एक किशोरी का अपहरण कर उससे रेप के जुर्म में 26 वर्षीय एक युवक को दस साल कैद की सजा सुनायी है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश महेश चंद्र गुप्ता ने राजस्थान निवासी राजेश को 17 वर्षीय स्कूली छात्रा का अपहरण करने और उससे बलात्कार के जुर्म में यह सजा सुनायी. अदालत ने राजेश पर 32 हजार रुपये का जुर्माना भी किया. अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष अभियुक्त का जुर्म साबित करने में सफल रहा है. अदालत ने कहा कि लड़की की गवाही से स्पष्ट संकेत मिलता है कि अभियुक्त उसे बहला-फुसलाकर ले गया था. पुलिस के अनुसार राजेश ने मई 2010 में सुल्तानपुरी इलाके से इस लड़की का अपहरण किया था. राजेश भी इसी इलाके में रहता था.
पुलिस का दावा था कि अभियुक्त इस लड़की को पहले पालम स्थित अपनी बहन के घर ले गया, जहां उसे जबरन बंद करके रखा गया. पुलिस का कहना है कि राजेश की बहन और बहनोई ने पीड़ित को नशीली दवा दी और उसे देह व्यापार में धकेलने का प्रयास किया. लेकिन इस मामले में अभियुक्त की बहन और बहनोई को जांच के दौरान गिरफ्तार नहीं किया जा सका. पुलिस ने अदालत को बताया कि अभियुक्त ने इस लड़की को करीब एक महीने तक किराये के घर में रखा. पुलिस के मुताबिक अभियुक्त लड़की की पिटाई करता था और सिगरेट से उसे जलाता भी था. इस दौरान आरोपी ने कई बार उससे बलात्कार भी किया.
मुकदमे की सुनवाई के दौरान राजेश ने खुद को निर्दोष बताया और दावा किया कि उसे गलत तरीके से फंसाया जा रहा है, क्योंकि लड़की अपनी मर्जी से घर से गई थी. अभियुक्त ने यह भी दावा किया था कि उसने लड़की से कभी भी बलात्कार नहीं किया और उन दोनों के संबंध थे. लड़की ने अदालत को बताया कि राजेश उसके यहां एक किरायेदार के पास आता था और इसी दौरान उनका परिचय हुआ. लड़की ने स्पष्ट रूप से कहा कि राजेश ने उसका बलात्कार किया है.