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जानवरों से भी बदतर होते हैं बलात्‍कारी: दिल्ली HC

दिल्ली हाई कोर्ट ने दो साल की बच्ची के साथ बलात्कार के मामले में 35 साल के एक शख्स को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा के खिलाफ उसकी अपील को खारिज करते हुए कहा कि बलात्कारी ‘जानवरों से भी बदतर’ होते हैं और उनसे कड़ाई से निपटना चाहिए.

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दिल्ली हाई कोर्ट
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दिल्ली हाई कोर्ट ने दो साल की बच्ची के साथ बलात्कार के मामले में 35 साल के एक शख्स को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा के खिलाफ उसकी अपील को खारिज करते हुए कहा कि बलात्कारी ‘जानवरों से भी बदतर’ होते हैं और उनसे कड़ाई से निपटना चाहिए.

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हाई कोर्ट की पीठ ने कहा कि राज्य सरकार को इस तरह के जघन्य अपराधों के नतीजों के बारे में जनता को संवेदनशील बनाने के लिए प्रयास करने चाहिए.

न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर और न्यायमूर्ति इंदरमीत कौर की पीठ ने कहा, ‘जब भी हम बलात्कार के किसी मामले के बारे में सुनते हैं या महिलाओं पर किसी तरह के हमले के बारे में सुनते हैं तो यह व्यापक स्तर पर समाज की आस्था को चोट पहुंचाता है. इस तरह के अपराध को कमतर आंकने की जरूरत नहीं है. बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और डिजिटल बलात्कार के मामले बढ़ रहे हैं और इस अमानवीय तथा नृशंस अपराध को करने वाले लोग जानवरों से भी बदतर हैं और उनसे कड़ाई से निपटना चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘हम इस ओर इशारा कर सकते हैं कि इस तरह के मामलों में नरमी से समाज में गलत संदेश जाएगा.’ अदालत ने इस तरह के अपराधों के कारणों की व्याख्या करते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस तरह के अपराध के नतीजों के बारे में जनता को संवेदनशील बनाना चाहिए.

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अदालत ने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों का भी उल्लेख किया जिनमें बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामलों में पिछले दशक की तुलना में 336 प्रतिशत की बढ़ोतरी बताई गयी है.

अदालत ने कहा, ‘बच्चियों के यौन उत्पीड़न के सभी मामले सामने नहीं आते और खबरों में नहीं आते. फिर भी बच्चियों के यौन उत्पीड़न के मामलों में चिंताजनक और हैरान करने वाली बढ़ोतरी हुई है.’ उन्होंने कहा, ‘जिस देश में बच्चियों को देवी लक्ष्मी या दुर्गा की तरह माना जाता है वहीं इसी समाज के कुछ लोग महिलाओं के शरीर पर हमला कर अमानवीय कृत्य करते हैं और उसकी पवित्रता को नुकसान पहुंचाते हैं.’

अदालत के अनुसार, ‘यह पूरे समाज के खिलाफ अपराध है. न्यायमूर्ति वर्मा समिति के बाद बेहतर और सख्त प्रक्रियाएं अपनाई गयी हैं. फिर भी निरोधक कार्रवाई की कमी महसूस की जाती है.’ अदालत ने कहा, ‘इस तरह की घृणित सोच रखने वाले किसी भी शख्स के दिमाग में कुछ डर होना चाहिए. इस तरह की जानवरों जैसी सोच से पहले किसी व्यक्ति को पता होना चाहिए कि इस तरह के भयानक इरादों के साथ एक क्षण का आवेग या कुछ मिनट की वासना उसकी पूरी जिंदगी को नुकसान पहुंचा सकता है.’

निचली अदालत ने सिंह को 10 अक्‍टूबर, 2006 को शकूर बस्ती इलाके में एक नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के मामले में मई, 2009 में सजा सुनाई थी.

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