दिल्ली में राष्ट्र मंच के कार्यक्रम में यशवंत सिन्हा और शत्रुघ्न सिन्हा एक मंच पर आए. यहां यशवंत सिन्हा ने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा, चीन डोकलाम में क्या कर रहा है और सरकार टुकुर-टुकुर ताक रही है. अब कोई 56 इंच का सीना नहीं दिखा रहा. पाकिस्तान भी आतंकी भेज रहा है. पुराना दोस्त रूस भी दूर जा रहा है. वहीं, शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा- अगर सच कहना बगावत है तो समझो हम भी बागी हैं.
यशवतं ने आगे कहा, संसद के इस सेशन में काम के लिए सिर्फ 4 दिन ही हैं. जबकि पहले ऐसा नहीं होता था. राष्टपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर 3 दिन चर्चा होती थी. 3 दिन रेल बजट पर चर्चा होती थी. 3 दिन आम बजट पर चर्चा होती थी. लेकिन अब सिर्फ 4 दिन हैं. कहावत सही फिट होती है, 'नंगा नाहएगा क्या और निचोड़ेगा क्या.'
यशवतं ने कहा, आज जांच एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है. किसान की हालत काफी खराब है. दिल्ली में बैठकर कल्पना करना मुश्किल है. केंद्र और राज्य की सरकारों ने भिखमंगे की तरह सड़क पर खड़ा कर दिया है. सबसे बड़ा मुद्दा किसानों का है. नोटबंदी कोई आर्थिक सुधार नहीं है. जीएसटी को लागू करने का तरीका ख़राब था और बेरोजगारी भी बढ़ी है.
देश में भय का माहौल
उन्होंने कहा, देश में सबसे ज़्यादा भय का माहौल है. सबसे ज़्यादा सत्तारूढ़ दल के लोग ही भय में हैं. अटल जी और आडवाणी जी की पार्टी में ये क्या हो रहा है. आज आंकड़े भी अपने पक्ष में बनाकर पेश किए जा रहे हैं. एक फरवरी को दिल्ली में महज नाम के लिए बजट पेश होगा. उन्होंने कहा, हम संघर्ष करेंगे. राष्ट्र मंच एक आंदोलन है और आंदोलन ही रहेगा. ये कभी राजनैतिक पार्टी नहीं बनेगा.
सच कहना बगावत तो हम बागी
वहीं, जब शत्रुघ्न सिन्हा से पूछा गया कि ये सारी बातें आप पार्टी मंच और संसदीय मीटिंग में बोले सकते थे. तो उन्होंने कहा, अगर मौका मिलता तो यहां आने की जरूरत नहीं होती. वहां पर अगर ये बातें होती तो शायद ये दिन नहीं आता. बजट सत्र चर्चा के लिए 6 दिन का कभी नहीं होता, लेकिन अब हो रहा है इसीलिए हम लोग एक मंच पर आए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, लोकतंत्र खतरे में है. मैं क्या बहुत लोग राष्ट्र मंच की बातों से सहमत हैं. अगर सच कहना बगावत है तो समझो हम भी बागी हैं. हमने कई बार पार्टी और सरकार में ये बातें उठाने की कोशिश की, लेकिन मौका नहीं मिला. बजट सत्र छोटा कर दिया गया, नेशनल एग्जीक्यूटिव में भी वक़्त नहीं मिलता.