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दिल्ली: अस्पताल के रियलिटी चेक में मरीजों ने खराब हालत के लिए सरकार को बताया जिम्मेदार

अस्पताल में मरीजों को दवाई देने के लिए महज 4 काउंटर मौजूद हैं. मरीजों का आरोप है कि काउंटर तक पहुंचने में घंटों लग जाते हैं और जब नंबर आता है तब या तो काउंटर पर बैठा शख्स व्यस्त हो जाता है या पर्चे पर लिखी पूरी दवाईयां नहीं दी जाती हैं.

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अस्पताल का रियलिटी चेक
अस्पताल का रियलिटी चेक

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दिल्ली सरकार के अस्पतालों में दवाईयां न मिलने से लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है. आज तक की टीम ने सिविल लाइन के अरुणा आसिफ अली अस्पताल का रियलिटी चेक किया, जहां मरीजों ने ख़राब हालात का ज़िम्मेदार सरकार को बताया है.

अस्पताल में मुफ्त दवाईयों का बोर्ड लगा है लेकिन डॉक्टर की लिखी दवाइयां काउंटर पर उपलब्ध नहीं होती हैं. अस्पताल में मरीजों को दवाई देने के लिए महज 4 काउंटर मौजूद हैं. मरीजों का आरोप है कि काउंटर तक पहुंचने में घंटों लग जाते हैं और जब नंबर आता है तब या तो काउंटर पर बैठा शख्स व्यस्त हो जाता है या पर्चे पर लिखी पूरी दवाईयां नहीं दी जाती हैं.

'आज तक' की टीम ने अस्पताल के काउंटर पर दवाई लेने पहुंचे मरीजों से बातचीत की. आज़ाद मार्किट में रहने वाले महेशचंद ने बताया कि अस्पताल में पूरी दवाई कभी-कभी मिलती है, शिकायत करने पर कोई सुनने वाला भी नहीं है. बल्लभगढ़ से आए जसवंत सिंह ने बताया कि उन्होंने कान का इलाज कराया जिसमें डॉक्टर ने 7 दिन की दवाई लिखी थी लेकिन उन्हें सिर्फ 5 दिन की दवाई मिली. जसवंत के मुताबिक उन्हें कम दवाई उपलब्ध होने का हवाला दिया गया.

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मजनू के टीले से आईं ऊषा के घुटने में दर्द है. इनकी शिकायत है कि दवाईयां ऐसी दी जाती हैं जो बाहर मेडिकल से मजबूरी में खरीदनी पड़ती हैं. अस्पताल में कम दवाई होने से ऊषा बेहद नाराज़ हैं. लोनी से आईं रानी देवी ने बताया कि वो पिछले 2 घंटे से लाइन में लगी हैं. रानी के मुताबिक आसिफ अली अस्पताल में सिर्फ सस्ती दवाई मिलती है. महंगी दवाई बाजार से खरीदनी पड़ती है. इस वजह से बाहर से दवाई लेने में हजारों खर्च हो जाते हैं.

भजनपुरा से इलाज कराने आईं मिथलेश ने बताया कि डॉक्टर से जब इलाज करने जाओ तो बदतमीजी ज्यादा करते हैं, या फोन पर बात करते रहते हैं. सिविल लाइन में रहने वाली मीनाक्षी की हाथ की हड्डी टूट जाने के बाद लगाया गया प्लास्टर बुधवार सुबह ही हटाया गया है. मीनाक्षी ने कम दवाई मिलने की शिकायत तो की ही साथ ही डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप भी लगाया. मीनाक्षी के मुताबिक प्लास्टर हटने के बाद उन्हें अचानक टूटे हाथ का ऑपरेशन कराने को कहा गया. जबकि उन्हें स्वस्थ्य घोषित कर दिया गया था.

आरिफ हुसैन के मुताबिक वो अपने रिश्तेदार को आधी रात को अस्पताल लेकर आये थे. लेकिन जो दवाई डॉक्टर ने लिख कर दी वो इमरजेंसी काउंटर पर उपलब्ध ही नहीं थी. जिसके बाद उन्हें रात 2 बजे मेडिकल दुकान से दवाई खरीदनी पड़ी. आरिफ का कहना है कि सरकार को जनता का बिल्कुल भी ख्याल नहीं है.

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मरीजों की शिकायत के बाद आज तक के संवाददाता ने अस्पताल के मेडिकल अधीक्षक डॉ जीपी कौशल से बातचीत की. डॉ कौशल ने दावा किया कि अस्पताल की ड्रग लिस्ट में 400 से अधिक किस्म की दवाईयां हैं. जिसमें से 71% से ज्यादा दवाईयां काउंटर पर उपलब्ध हैं. डॉक्टर वही दवाईयां लिखते हैं जो उपलब्ध होती हैं.

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