दिल्ली सरकार ने दावा किया है कि डेंगू की रोकथाम के लिए उसने सारे इंतजाम कर लिए हैं. सरकारी अस्पतालों में बेड से लेकर इलाज तक की कोई कमी नहीं है, लेकिन इन सरकारी दावों का सच कुछ और ही है.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के संदेश से तो यही लगता है कि दिल्ली में डेंगू के मरीज भगवान भरोसे ही हैं. तो वहीं, स्वास्थ्य मंत्री ने डेंगू से निपटने के लिए मरीजों के लिए बेड भी बढ़वा दिए हैं. केजरीवाल ने दावा कि उन्होंने हॉस्पिटल के कड़े निर्देश दिए हैं कि मरीज को एडमिट जरुर करें लेकिन हकीकत कुछ और ही निकली.
एडमिट न करने के बहाने तलाशते हैं डॉक्टर
सुनीता नाम की महिला 3 दिन से बुखार से पीड़ित हैं. पहले उन्होने सरकारी डिस्पेंसरी में दिखाया तो उन्होंने राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल रेफर कर दिया गया, लेकिन यहां अस्पताल में डॉक्टरों ने मरीज को एडमिट ही नहीं किया. वहीं, एक अन्य पीड़ित अमित ने बताया कि डॉक्टर उन्हें एडमिट न करने के बहाने बना रहे हैं. उन्होंने बताया कि यहां डॉक्टर कह रहे हैं कि सिर्फ जीटीबी हॉस्पिटल से रिफर किए गए मरीज ही वहां एडमिट किए जा रहे हैं.
जनकपुरी स्थित सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में डेंगू के करीब 100 मरीज भर्ती हैं. सरकार ने डेंगू के बढ़ते मरीजों की संख्या से निपटने के लिए अस्पतालों में बेड तो बढ़ा दिए गए हैं लेकिन इस अस्पताल में न तो ब्लड बैंक है और न ही प्लेटलेट बैंक. इलाज के नाम पर सिर्फ डेंगू का बेसिट ट्रीटमेंट और दो ग्लूकोस की बोतल.
स्टाफ की कमी से भी जूझ रहे अस्पताल
मरीजों के तीमारदारों के मुताबिक यहां स्टाफ की भी कमी है. यहां डॉक्टर और नर्स के स्टाफ को दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल से मंगाया गया है. डेंगू के गंभीर मरीजों के साथ डील करने के लिए ये सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल तैयार नहीं है.
वहीं, दिलशाद गार्डन में स्थित बड़े सरकारी अस्पताल में मरीजों का हाल और भी बेहाल है. जो नर्स और डॉक्टर बैठे हैं वो भी मरीजों को देख नहीं रहे. इससे साफ है कि सरकार भले ही डेंगू की महामारी को अंडर कन्ट्रोल में बताएं लेकिन मरीजों की हालत सरकार के तमाम दावों की पोल खोल रही है.