नोटबंदी ने कैश के दरवाजे बंद किए तो कैशलेस एक बड़ा सहारा बन गया लेकिन 42 दिन गुजर जाने के बाद कैशलेस कई व्यापारियों के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है. कैशलेस पेमेंट के लिए स्वाइप मशीन का इस्तेमाल में कमजोर नेटवर्क एक बड़ी समस्या बनकर खड़ा हो रहा है. आजतक की टीम ने चांदनी चौक के सबसे बड़े इलेक्ट्रोनिक मार्किट का जायजा लिया, इस बाजार में रंग बिरंगी झालर से लेकर बल्ब, ट्यूब लाइट, बिजली के तार, स्विच के आलावा घर में लगने वाला हर आइटम बेचा जाता है. जम्मू कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के व्यापारी यहां से थोक का व्यापार करते हैं.
यहां दुकान चलाने वाले जीतू बताते हैं कि वो पिछले 12 साल से दुकान चला रहा हूं, नोटबंदी के 2 दिन बाद ही उन्होंने स्वाइप मशीन के लिए
ऑर्डर कर दिया. जीतू के मुताबिक फुटकर व्यापारी के पास कैश नहीं है तो वो डेबिट या क्रेडिट कार्ड लेकर आते हैं लेकिन दिक्कत ये आ रही है कि सर्वर
कमजोर है, शनिवार की शाम को एक ग्राहक के 50 हजार रुपए स्वाइप किए, उनके अकाउंट से तो रुपए कट गए लेकिन मेरे पास बैलेंस नहीं आया.
जीतू एक ग्राहक का हाल बताते हुए कहते हैं कि रुपए कट जाने के बाद जब पेमेंट नहीं हो पाती तो ग्राहक कस्टमर केयर को कॉल करता रहता है. सर्वर न होने की वजह से कस्टमर को कई घंटे तक बैठना भी पड़ता है, अबतक 3 से 4 कस्टमर के साथ ऐसा हुआ. एक बार तो कार्ड ही स्वाइप नहीं हो रहा था, बार बार एरर आ रहा था. जीतू की मानें तो कैश बहुत अच्छा है, कैश से आराम रहता है तुरंत लेनदेन हो जाता है. चेक लेने में भी दिक्कत है क्योंकि खरीददार जानकार नहीं है तो चेक बाउंस होने का डर रहता है.
आजतक की टीम अभी कैशलेस का टेस्ट कर ही रही थी कि जीतू की दुकान पर लखनऊ से आए प्रदीप दुकान पर अपना कार्ड स्वाइप करके पेमेंट करते नज़र आए, प्रदीप हफ्ते में 2 बार लखनऊ से दिल्ली आते हैं. पहले कैश लाते थे लेकिन अब कार्ड लाते हैं, प्रदीप बताते हैं कि अभी उन्होंने कार्ड स्वाइप किया लेकिन एरर आ गया, मुझे 15 हजार की पेमेंट करनी है लेकिन कैश नहीं है.