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दिल्ली-एनसीआर में गिर सकते हैं मकानों के दाम

राजधानी और आसपास के इलाकों में मकानों की आकाश छूती कीमतों पर न केवल अंकुश लग सकता है बल्कि उनकी कीमतें भी गिर सकती हैं. ऐसा सेबी के उस आदेश के कारण हुआ है जिसमें उसने देश की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी DLF के प्रमोटर तथा डायरेक्टरों पर कठोर प्रतिबंध लगा दिए हैं.

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रियल एस्टेट कीमतों में होगी गिरावट
रियल एस्टेट कीमतों में होगी गिरावट

राजधानी और आसपास के इलाकों में मकानों की आकाश छूती कीमतों पर न केवल अंकुश लग सकता है बल्कि उनकी कीमतें भी गिर सकती हैं. ऐसा सेबी के उस आदेश के कारण हुआ है जिसमें उसने देश की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी DLF के प्रमोटर तथा डायरेक्टरों पर कठोर प्रतिबंध लगा दिए हैं.

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सेबी ने आदेश दिया है कि कंपनी अगले तीन साल तक शेयर बाजार से पूंजी नहीं उगाहेगी. इसका मतलब हुआ कि अगर उन्हें पैसों की जरूरत हुई तो वे पूंजी बाजार का मुंह नहीं देख पाएंगे. सेबी ने ऐसा आदेश इसलिए दिया कि DLF के प्रमोटरों और डायरेक्टरों ने पब्लिक इश्यू लाते वक्त कई महत्वपूर्ण सूचनाएं छुपा ली थीं.

DLF रियल एस्टेट की नंबर वन कंपनी होने के बावजूद भारी कर्ज में डूबी हुई है और उसे कर्ज चुकाने के लिए बड़े पैमाने पर जमीन और मकान बेचने पड़ रहे हैं. समझा जाता है कि कंपनी पर 19,064 करोड़ रुपये का कर्ज है. लेनदार इसकी वसूली के लिए दबाव डालेंगे. रियल एस्टेट के जानकारों का कहना है कि कंपनी अपने अस्तित्व को बचाने के लिए अपनी प्रॉपर्टी और परियोजनाओं को कम दाम में बेचने के लिए बाध्य हो जाएगी. रियल एस्टेट क्षेत्र में वैसे ही मंदी है और सप्लाई ज्यादा है. ऐसे में अगर कंपनी सस्ते में अपनी जमीन और मकान वगैरह बेचती है तो बाकी की कंपनियों पर भी दबाव पड़ जाएगा. ऐसे में छोटी कंपनियों के पास भी कोई चारा नहीं रहेगा. उन्हें अपनी चल रही परियोजनाओं के लिए पैसा चाहिए और वे कम दाम में मकान वगैरह बेचकर अपना काम चलाएंगे. इस समय वे भी पूंजी बाजार में उतरने की हिम्मत नहीं जुटा सकती हैं.

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कंपनी के पास अभी भी एनसीआर में इतनी जमीन है कि वह नई परियोजनाएं शुरू कर सकती है लेकिन इनमें उसे पहले वाला प्रीमियम नहीं मिल पाएगा. अब महंगे मकान बनाकर उससे पैसे जुटाना आसान काम नहीं होगा.

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