अगले कुछ दिनों में ईस्ट किदवई नगर की सूरत बदलने वाली है. एम्स के पास बने इस इलाके में बने पुराने सरकारी फ्लैट्स को शहरी विकास मंत्रालय की हरी झंडी के बाद तोड़ा जा रहा है. इनकी जगह पर नई बहुमंजिला इमारतें बनाई जाएंगी.
जर्जर हो चुके इन सरकारी फ्लैट्स को तोड़कर इनकी जगह अब अत्याधुनिक रेसिडेंशियल टॉवर्स बनाए जाएंगे. शहरी विकास मंत्रालय ने इसका जिम्मा सरकारी फर्म एनबीसीसी को सौंप दिया है. इस प्रोजेक्ट के पूरा होते ही सरकारी क्वॉटर्स की तस्वीर पूरी तरह बदल जाने की उम्मीद है.
ईस्ट किदवई नगर को दूसरे विश्व युद्ध के समय बसाया गया था. समय बीतने के साथ ये इमारतें जर्जर होती गईं. राजधानी में पहले से ही जगह की कमी को देखते हाई राइज बिल्डिंग पर जोर दिया जा रहा है. ईस्ट किदवई नगर में इस वक्त करीब 2,331 सरकारी इमारतें हैं, जिनकी जगह बहुमंजिला इमारतें बनेंगी. इनमें कुल 4,609 फ्लैट्स होंगे. पॉवर बैकअप की सुविधा वाली इन इमारतों के अलावा इस कॉलोनी में नए स्कूल बिल्डिंग, साइकलिंग और जॉगिंग ट्रैक और शॉपिंग सेंटर जैसी सुविधाएं भी होंगी.
ईस्ट किदवई नगर के बाद दूसरी सरकारी कॉलोनियों जैसे सरोजनी नगर, आरके पुरम,नेताजी नगर और श्रीनिवासपुरी की सूरत बदलने की संभावना है. इससे जुड़ी परियोजना के अंतर्गत कुल 30 सरकारी कॉलोनियों को रिडेवलप किया जाएगा. इस परियोजना की अनुमानित लागत करीब 4 हजार करोड़ रुपये होगी. शहरी विकास मंत्रालय की ये महत्वाकांक्षी परियोजना लगभग 5 साल में पूरी होने की उम्मीद है.