राजधानी दिल्ली में मौजूद भिखारियों के लिए दिल्ली हाईकोर्ट से राहत भरी खबर आई है. बुधवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान HC ने ऐसे केस में सजा को खत्म कर दिया है. अब अगर दिल्ली की सड़कों पर कोई बिहारी भीख मांगता हुआ पकड़ा जाता है, तो उसे सजा नहीं होगी.
कोर्ट ने ये भी कहा है कि सभी भिखारियों को मूलभूत सुविधाएं और स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जानी चाहिए. HC ने सुनवाई के दौरान कहा कि भिखारियों को किसी भी प्रकार की सज़ा देना मूलभूत अधिकारों के खिलाफ है, इसलिए उनके खिलाफ किसी भी तरह का आपराधिक मामले में सजा नहीं दी जा सकती.
दिल्ली हाईकोर्ट ने भिखारियों को राहत देते हुए भिक्षावृत्ति को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है. कोर्ट ने कहा कि किसी भी भूखे व्यक्ति को राइट टू स्पीच के तहत रोटी मांगने का अधिकार है.
दरअसल, भीख मांगते हुए अगर कोई भी व्यक्ति पकड़ा जाता था तो उसे 1 से 3 साल की सजा का प्रावधान था, जो अब खत्म कर दी गई है. भिखारी के दूसरी बार पकड़े जाने पर उसको 10 साल तक की सजा का प्रावधान था, लेकिन अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद उसे खत्म कर दिया गया है.
मुंबई प्रिवेंशन ऑफ बैगर एक्ट 1959 को दिल्ली में 2 जून 1960 को लागू कर दिया गया था. भिक्षावृत्ति को अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया है इसलिए जैसे भिखारियों के पहले पकड़े जाने पर उनके फिंगरप्रिंट्स लिए जाते थे अबऐसा नहीं किया जा सकता.
कोर्ट ने अपने आदेश में सेक्शन11 को बरकरार रखा है. इस सेक्शन के तहत अगर कोई व्यक्ति किसी से बलपूर्वक भिक्षावृत्ति कराता है तो उसको 3 साल तक की सजा हो सकती है. यानी अगर कोई व्यक्ति किसी बच्चे बुजुर्ग महिला या विकलांग से सिंडिकेट के तहत भिक्षावृत्ति कराता है तो उस व्यक्ति के खिलाफ कानूनीकार्यवाही का प्रावधान अभी भी खुला हुआ है.
भिक्षावृत्ति को अपराध की श्रेणी से हटाने को लेकर हालांकि केंद्र सरकार के वकील अनिल सोनी का मानना है इससे दिल्ली में भिखारियों कीसंख्या और बढ़ जाएगी. क्योंकि दिल्ली से सटे और राज्यों से भी भिखारी दिल्ली में आ जाएंगे जिससे वह कानूनी रूप से सुरक्षित रहें.
आपको बता दें कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 4,13,670 भिखारी हैं, जिसमें 2,21,673 पुरुष और 1,91,997 महिलाएं शामिल हैं. इनकी जिंदगी कितनी कठिन है ये हम शायद नहीं समझ सकते.