दिल्ली के ज्यादातर विधायक रिपोर्ट कार्ड में अच्छे नंबर नहीं ला पाए. प्रजा फाउंडेशन ने दिल्ली के विधायकों का जो रिपोर्ट कार्ड जारी किया है, उसके मुताबिक सिर्फ दो विधायकों को ए ग्रेड मिली है, बाकि बी, सी या डी ग्रेड ही हासिल कर पाए. जिन तीन विधायकों ने रिपोर्ट कार्ड में टॉप किया है, उनमें दो आम आदमी पार्टी के है, जबकि एक विधायक बीजेपी से हैं.
कृष्णानगर से एमएलए एस के बग्गा ने रिपोर्ट कार्ड में अव्वल दर्जा हासिल किया है, जबकि बीजेपी के मुस्तफाबाद से विधायक जगदीश प्रधान दूसरे नंबर पर और लक्षमी नगर से आम आदमी पार्टी के विधायक नितिन त्यागी ने तीसरा स्थान हासिल किया है. सबसे फिसड्डी रहे तीन विधायक सहीराम पहलवान, रघुवींद्र शौकीन और प्रकाश जरवाल हैं.
प्रजा फाउंडेशन ने कैंट एरिया के दो एमएलए को छोड़कर बाकि 58 एमएलए का रिपोर्ट कार्ड कई पैमानों पर तैयार किया है, जिसमें इलाके में किए गए विकास कार्य, विधानसभा में पूछे गए सवाल और इलाके में एमएलए के बारे में परसेप्शन जैसे मानक शामिल हैं। इन 58 विधायकों में से 20 एमएलए आपराधिक रिकॉर्ड वाले हैं.
हैरानी वाली बात ये है कि रिपोर्ट कार्ड में बताया गया है कि इलाके में फागिंग, साफ सफाई और गंदगी से जुड़ी दस हज़ार शिकायतों का ज़िक्र है, जबकि रिपोर्ट कार्ड के मुताबिक इन से जुड़े सवाल विधायक विधानसभा में पूछते ही नहीं है. जब प्रजा फाउंडेशन के लोगों से पूछा गया कि डेंगू चिकनगुनिया पर विधानसभा का पूरा एक सत्र आयोजित किया गय़ा था, तब ये बात भी निकलकर सामने आयी कि ये आंकड़े पिछले साल फरवरी से लेकर दिसंबर तक के हैं और इसमें डेंगू चिकनगुनिया से जुड़ी शिकायतें पिछले साल इसी मौसम के दौरान की हो सकती है.
इस रिपोर्ट का कार्ड का एक दिलचस्प पहलू ये भी है कि इसके मुताबिक बीजेपी के विधायकों का प्रदर्शन आम आदमी पार्टी के विधायकों से बेहतर है. आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन 58 फीसदी रहा, तो बीजेपी के विधायकों का प्रदर्शन 65 फीसदी से ज्यादा रहा. प्रजा फाउंडेशन के इस रिपोर्ट कार्ड के मुताबिक दिल्ली के 72 फीसदी विधायकों का प्रदर्शन औसत से कम रहा है, यानि ये विधायक इलाके के लोगों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं.
इस सर्वे में 12 उन विधायकों को भी शामिल नहीं किया गया, तो मुख्यमंत्री, मंत्री, पूर्व मंत्री या विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्य़क्ष हैं, क्योंकि रिपोर्ड कार्ड में जिन तरीकों पर मार्किंग की गई है, उसके दायरे में ये विधायक नहीं आते हैं, ऐसे में उनकी रैंकिंग नहीं की जा सकती थी. इसीलिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ ही तमाम दूसरे मंत्रियों की रैंकिंग नहीं की गई.
प्रजा फाउंडेशन के नेताई मेहता के मुताबिक दिल्ली के विधायकों का प्रदर्शन अच्छा नहीं है. इसमें विधानसभा में पूछे गए प्रश्नों के आधार पर आंकलन किया गया है, लेकिन चालीस फीसदी नंबर इलाके के लोगों के नज़रिए के भी हैं, मतलब इलाके के लोगों की नज़र में विधायक की छबि कैसी है, इसका भी बड़ा असर रिपोर्ड कार्ड के नतीजों पर है.