डीडीए ने एक बार फिर 2021 के मास्टरप्लान में किए गए संशोधन पर जनता की राय और आपत्तियां मांगी हैं. इसके लिए डीडीए ने बाकायदा अखबारों में विज्ञापन छपे हैं और 45 दिनों के भीतर जनता की राय मांगी गई है.
गौरतलब है कि 2001 से 2021 का जो मास्टरप्लान 2001 में ही आ जाना चाहिए था, वो 2007 में आया. इसके बाद हर पांच साल पर मास्टरप्लान की समीक्षा का प्रावधान था, तो वो भी जनवरी 2007 से शुरू हुआ, लेकिन अब तक पूरा नहीं हो पाया है. जनवरी 2012 से ही इसमें बदलाव के लिए जनता से सुझाव मांगे गए. जनता के करीब 4000 सुझाव आए, जिनकी समीक्षा करने के लिए अलग अलग चैप्टर के मुताबिक मैनेजमेंट एक्शन कमिटी बनाई गई. इन कमेटियों ने सुझावों की व्यवहारिकता को देखते हुए उनका विश्लेषण किया और फिर मास्टरप्लान में बदलाव किया और फिर इसे डीडीए बोर्ड ने पास किया.
अब अलग-अलग चैप्टर के बदलावों को एक-एक कर डीडीए अखबारों में प्रकाशित कर रहा है और जनता से आपत्तियां और सुझाव मांग रहा है. सवाल इस पूरी प्रक्रिया की ढिलाई पर खड़े हो रहे हैं, क्योंकि यह प्रक्रिया पूरी होते साल खत्म हो जाएगा. चूंकि मास्टरप्लान में किए बदलावों में जनता के फायदे से जुड़े कई मुद्दे हैं, इसलिए सवाल उठता है कि यह ढिलाई कहीं इसे चुनाव के आसपास तक पहुंचाने की कोशिश तो नहीं, ताकि सरकार इसका चुनावी फायदा उठा सके.
संशोधन और प्रस्ताव चाहे जितने लुभावने लगें, उन्हे अंतिम रूप देने के बाद लागू करने की जिम्मेदारी तो चुनाव के बाद आने वाली सरकार का ही होगा और वो इस काम में कितना गंभीर रहेगी, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.