दिल्ली में कमर्शियल वाहनों के लिए RFID लेना जरूरी है, जिसकी आखिरी तारीख आज यानी 23 अगस्त है. दिल्ली के सभी कुल 13 प्वॉइंट्स पर RFID टैग मिलने के बावजूद अभी भी टोल नाकों पर लाखों गाड़ियां खड़ी हैं जिसके चलते आधी रात से जाम के हालात बन सकते हैं. बता दें कि एक बार डेडलाइन बढ़ाई जा चुकी है, बावजूद इसके अभी लाखों गाड़ियां टैग युक्त नहीं हो पाई है.
इन सबके बीच दिल्ली गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट राजेंद्र कपूर ने यूपीसीए साउथ एमसीडी को चिट्ठी लिखते हुए डेडलाइन 15 दिन और बढ़ाने की मांग की है. साउथ एमसीडी की मेयर सुनीता कांगड़ा ने कहा कि हर बार ये लोग लास्ट मोमेंट पर ही एक्टिव होते हैं. साथ ही कहा कि डेडलाइन फिर बढ़ाने को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया.
बता दें कि टोल नाकों पर कम स्टाफ उचित व्यवस्था ना होना और कई ऐसे पेंच हैं जिनकी वजह से RFID को लेकर काफी मारामारी है.
नोएडा से गुड़गांव को चलने वाले कैब ड्राइवर अतुल ने बताया कि वह 3 दिन से करीब 5 घंटे लाइन में लगा रहा फिर भी टैग नहीं मिला. वहीं, रोहिणी से कनॉट प्लेस कैब चलाने वाले रोहताश ने बताया कि वह रविवार, सोमवार और मंगलवार लगातार तीन दिनों तक डीएनडी टोल पर आए लेकिन फिर भी टैग नहीं मिला.
उन्हें बताया गया कार जीप जैसी छोटी गाड़ियों के टैग खत्म हो चुके हैं. बता दें कि रात में 11:00 बजे से नो एंट्री खुलते ही राजधानी में ट्रक जैसी बड़ी लोडिंग वाली गाड़ियां आने लगती हैं, ऐसे में रात में टोल के आसपास लंबा जाम लग जाता है.
एक कैब ड्राइवर ने बताया कि हर टोल पर सिर्फ एक या दो प्वॉइंट बनाए गए हैं लेकिन लाखों की संख्या में गाड़ियां हैं और स्टाफ बहुत ही कम लिहाजा सभी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
RFID से रुकेगी टैक्स चोरी!
अब तक एक ईवे बिल पर तीन से चार बार गाड़ी गुजार दी जा रही थी है. RFID के बाद जितनी बार ट्रक गुजरेगा एमसीडी समेत एनएचएआई को भी इसका पता लग जाएगा. अभी कोई भी वाहन जैसे ही दिल्ली की सीमा में जितनी बार दाखिल होता है उसे एमसीडी का टोल देना पड़ता है.