म्यांमार में हजारों रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रही हिंसा के खिलाफ मुस्लिम संप्रदाय के लोगों ने बुधवार को दिल्ली में बर्मा दूतावास तक मार्च निकाला।. दिल्ली पुलिस ने इस मार्च को चाणक्य पुरी में ही रोक दिया. मुस्लिम समाज के लोग म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हो रही हिंसा के खिलाफ हाथों में बैनर-पोस्टर लेकर मार्च कर रहे थे. बर्मा में कथित तौर पर सेना और हिंसक सामाजिक तत्वों द्वारा लाखों रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की कई एशियाई देश निंदा कर रहे हैं.
म्यांमार में हजारों रोहिंग्या मुसलमानों को मार दिया गया और बचे-खुचे बांग्लादेश में शरण लेने को मजबूर हैं. भारत सरकार भी देश में रह रहे 40,000 रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर करने की तैयारी में है. प्रदर्शनकारियों ने भारत सरकार से देश के अंदर रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों को शरण देकर हमेशा के लिए भारतीय नागरिकता देने और उन्हें सुरक्षा प्रदान करने की मांग की है. मार्च में शामिल हुसैन मदनी ने 'आज तक' से बातचीत में कहा कि म्यांमार में जो कुछ भी हो रहा है वह निंदनीय है और ऐसे में आंग सांग सू की से नोबेल प्राइज वापस लिया जाना चाहिए.
फिरोज अहमद ने इस मार्च में हिस्सा लेकर कहा कि मोदी सरकार भारत में रह रहे 40,000 रोहिंग्या मुसलमानों को नागरिकता प्रदान करे और उन्हें सुरक्षा दे क्योंकि अब वह भारत का हिस्सा हैं. प्रदर्शन में कई महिलाएं भी शामिल हुई जिन्होंने हाथों में बर्मा में हिंसा का शिकार हुए मासूम बच्चों की तस्वीरें लेकर वर्मा दूतावास तक मार्च करने की कोशिश की. इन महिलाओं ने म्यांमार में हो रही हिंसा की कड़ी शब्दों में निंदा करते हुए मोदी सरकार से कूटनीतिक रास्ते अपना कर दखल देने की मांग की है.