दिल्ली सरकार का प्याज खरीद का मामला अब एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) पहुंच गया है. आरटीआई एक्टिविस्ट विवेक ने ACB में शिकायत दर्ज कराई है. उन्होंने प्याज खरीद को लेकर दिल्ली सरकार के दावे की जांच की मांग की है.
क्या है दिल्ली सरकार का दावा
दिल्ली सरकार का दावा है कि उसने 33 रुपये किलो प्याज खरीदी. उसकी पैकेजिंग और ट्रांसपोर्टेशन में 7 रुपये प्रति किलो का खर्चा आया. हमें प्याज 40 रुपये किलो पड़ी बावजूद इसके हमने 30 रुपये किलो बेची. नैफेड ने हमें 19 रुपये किलो प्याज देने की बात कही थी. हमने देने को कहा तो उन्होंने कोई जवाब ही नहीं दिया.
विवेक गर्ग ने लगाए ये आरोप
विवेक गर्ग का आरोप है कि दिल्ली सरकार तथ्यों को छुपा रही है. उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार ने मई में जब स्टॉक खरीदने का फैसला किया तो टेंडर क्यों नहीं निकाला. SFAC से महंगा प्याज क्यों खरीदा, जबकिन नैफेड सस्ता प्याज देने का प्रस्ताव रख चुका था. प्याज का घोटाला जो सामने दिख रहा है और पर्दे के पीछे जो खेल हो रहा है उसकी जांच होनी चाहिए.
ऑर्डर में भी घपले का आरोप
विवेक गर्ग ने कहा कि पहले 5000 मीट्रिक टन प्याज का ऑर्डर दिया. फिर उसे घटाकर 2500 मीट्रिक टन कर दिया. 2 सितंबर तक कुल 575 मीट्रिक टन प्याज बाजार में डाला. हर स्तर पर जमाखोरों को मौका दिया, ताकि जमाखोरी चलती रहे. दिल्ली में रोजाना 1000 से 1500 मीट्रिक टन प्याज की जरूरत है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इसकी जांच की बात क्यों नहीं करते.
कांग्रेस ने भी उठाए सवाल
पूर्व खाद्य मंत्री हारुन यूसुफ ने कहा कि प्याज खरीद की प्रक्रिया शक के घेरे में है. मई में प्याज 6 रुपये किलो थी. AAP के ही मंत्री गोपाल राय ने कहा था कि हजारों टन प्याज गोदाम में भर दिए. जिस तरीके से कीमत लगाई गई प्याज का भाव 33 रुपये किलो हो गया. यदि तमिलनाडु और कर्नाटक से भी खरीदते तो 24-25 रुपये किलो पड़ता. सरकार को सफाई में फुल पेज का विज्ञापन देना पड़ा उससे साफ है दाल में कुछ काला है.