सदर बाजार दिल्ली का सबसे बड़ा होलसेल बाजार हैं, हज़ारो करो़ड़ो के व्यापार वाले इस बाजार में नोट बंदी से पहले सर्फ नोट ही चलते थे लेकिन अब यहां तस्वीर बदल रही हैं. पूरा कैश पर चलने वाला ये बाजार अब धीरे-धीरे कैशलेस होने की कोशिश तो कर रहा हैं लेकिन ये इतना आसान नही हैं. सदर बाजार के व्यापारी देवराज जी की माने तो इस बाजार में कैशलेस पेमेंट के लिए मोबाइल नेटवर्क ही साथ नहीं देते है, जिससे कस्टमर खासे परेशान हैं.
सदर के दूसरे व्यापारी प्रवीण कुमार ने पिछले 15 दिनों से स्वाइप मशीन का आर्डर दे रखा हैं लेकिन मशीन अभी तक नहीं आई है, अब ऐसे में वो कैशलेस पेमेंट कैसे करें. उन्होंने कहा कि इसके अलावा कई ऐसे कस्टमर हैं जो सीधे सीधे कैश में ही डील करना चाहते है क्योंकि उन्हें डिजिटल नॉलेज ही नही हैं.
स्पोर्ट्स गुड्स के व्यापारी नवल ने भी अपने व्यापार के लिए paytm का विकल्प रखा हैं लेकिन इसके बावजूद कस्टमर कैश में ही डील करना चाहते हैं क्योंकि कस्टमर को कैश में डील करने पर बार्गेनिंग का मौका मिलता हैं. इसके अलावा ट्रांजेक्शन फेल होने पर कस्टमर का पैसा जब तक वापस आएगा तब तक डील में देरी हो जाती हैं और दोनों का नुकसान हो जाता हैं.
कुल मिलाकर 100 फ़ीसदी कैश पर चलने वाला सदर 2 से 3 प्रतिशत कैशलेस हो चूका हैं लेकिन इसके बावजूद कैशलेस का व्यापार बड़ी सारी उलझनों में फंसा हुआ हैं जिसके लिए सिस्टम और सख्ती की ज़रूरत हैं.