मेडिकल साइंस की कोई भी उपलब्धि हर इंसान के लिए एक आशा की किरण का काम करती है. 27 साल के दीपक की ज़िन्दगी में भी सफदरजंग अस्पताल में सेंटर इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओर्थोपेडिक्स ने एक उम्मीद जगाई. दीपक ने डेढ़ हफ़्ते पहले ही अपने पैरों पर आराम से चलना और बैठना शुरू किया हैं. दीपक पिछले ढ़ाई सालों से अपने कूल्हों में बेइंतिहा दर्द से परेशान था और चलने बैठने में असहाय था.
सफदरजंग अस्पताल के सेंटर इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओर्थोपेडिक्स के डॉक्टर्स ने दीपक के कुल्हों की सिनोविअल मेम्ब्रेन में कुछ गांठे देखी और उसके ऑपरेशन की ठानी. ये ऑपरेशन आसान नहीं था क्योंकि हिप ऑर्थोस्कोपी बहुत ही रेयर और कंप्लीकेटेड प्रक्रिया हैं लेकिन दीपक के केस में ये ऑपरेशन सफल रहा. पहली बार डॉक्टर्स ने ऑर्थोस्कोपी के ज़रिये हिप सर्जरी को अंजाम दिया, जिसकी बदौलत दीपक अपने पैरों पर खड़ा हैं.
ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर्स की टीम जिसमें प्रो. देवेन्द्र सिंह, और सुनील कुमार पांडेय शामिल हैं, उनके अनुसार हिप जॉइंट में आर्थोस्कोपी करना मुश्किल होता हैं क्योंकि हिप जॉइंट काफी अंदर की तरफ होता हैं. ये बीमारी ज्यादातर घुटनों और कंधो के जॉइंट्स में होती हैं और यहां ऑर्थोस्कोपी करना आसान भी होता हैं.लेकिन कुल्हों में मिली इन लूज़ बॉडीज को ऑर्थोस्कोपी के ज़रिये निकाल कर ठीक करना बहुत ही यूनिक और एडवांस तकनीक ही हैं जो की नार्थ इंडिया में भी मुश्किल ही 1 या 2 सेंटर्स में उपलब्ध हैं.