कोरोना की बढ़ती संक्रमण दर और मौतों का आंकड़ा सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क लगाना या कोविड प्रोटोकाल का पालन करने भर से नहीं रुकेगा. ज्यादातर कोविड एक्सपर्ट मानते हैं कि वैक्सीन इनफ्केशन रोकने के लिए नहीं है बल्कि इन्फेक्शन से होने वाले डैमेज को कम करने से रोकने के लिए है. वैक्सीन लगवा लेने से इनफेक्शन का स्तर गंभीर नही होगा. कम ऑक्सीजन वाले मरीजों की बाढ़ सी आ गई है. वैसी स्थिति नहीं होगी. सफदरजंग अस्पताल की स्टडी में दावा किया गया है कि 40 फीसदी एडल्ट वैक्सीन लगवाने के पक्ष में नहीं हैं. बच्चों को लगवाएंगे या नहीं इस सवाल पर करीब 60 फीसदी लोगों ने कहा- अपने बच्चो को वैक्सीन नहीं लगवाएंगे.
सफदरजंग अस्पताल में डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन के डायरेक्टर, प्रोफेसर और हेड डॉ. जुगल किशोर ने बताया, “वैक्सीन हेजिंटेंसी को लेकर किए गए सर्वे में पाया गया कि 40 फीसदी एडल्ट वैक्सीन लगवाने के पक्ष में नही हैं जबकि 60 प्रतिशत अपने बच्चों को वैक्सीन नहीं लगवाएंगे. डॉ. जुगल किशोर का कहना है कि पहले फेज के वैक्सीनेशन से पहली ही वैक्सीन को लेकर इसी साल जनवरी में डेटा कलेक्ट करके ऑनलाइन सर्वे किया गया. 500 सैम्पल को गूगल और व्हाट्सऐप ग्रुप में सर्कुलेट किया गया और जवाब देने वालों में मेडिकल प्रोफेशनल, इंजीनियर, पत्रकार, नर्सेज, हेल्थ स्टाफ भी शामिल हैं.
लोगों से सवाल पूछे गए कि क्या लोग वैक्सीन लगवाएंगे? या फिर वैक्सीन के बारे में लोग क्या सोचते हैं? डॉ. जुगल किशोर मानते हैं कि अभी तो बच्चों को वैक्सीन नहीं लग रही है, लेकिन कभी तो लगेगी ही ऐसे में ये हेजिटेंसी दूर करने के लिए हमारा फोकस ऐसे लोगों में वैक्सीन को लेकर बैठे डर को खत्म करना है.
Integrated Health And Wellbeing Council (IHW Council) के सीईओ कमल नारायण ओमर ने बताया कि तीसरे फेज़ के वैक्सीनेशन रजिस्ट्रेशन में करीब 1 करोड़ से ज्यादा लोगों के रजिस्टर करने की वजह से सिस्टम ही क्रैश हो गया. जो दिखाता है कि अब लोगों में वैक्सीन को लेकर डर खत्म हो रहा है. वैक्सीन को करीब 70 फीसदी आबादी को लगाने का लक्ष्य होना चाहिए. सबसे बड़ी बाधा वैक्सीन के लिए लोगों में हिचक है. दरअसल मेडिकल और साइंटिफिक एरिया इतने तरक्की के दौर में है कि 1 साल के अंदर वैक्सीन बन गई, लेकिन लोगों में इसको लेकर भी दुविधा है. हैजिटेंसी के पीछे सेफ्टी को लेकर दुविधा सोशल मीडिया पर वैक्सीन का दुष्प्रचार और किन्हीं केस में जल्दी अप्रूवल मिलना ही वो करण हैं जिनसे लोगो में हिचक है.