दिल्ली के बापरोला गांव के रहने वाले ओलंपिक पदक विजेता सुशील पहलवान पर भले ही हत्या जैसा गंभीर आरोप लगा हो लेकिन गांव के लोगों को इस बात पर यकीन नहीं हो रहा है. बापरोला गांव के लोग सुशील पहलवान की शालीनता की बातें बताते हैं, जहां सुशील पहलवान हमेशा बुजुर्गों के पैर छूकर आशीर्वाद लेते थे.
गांव के लोग कहते हैं कि सुशील कुमार मेहनती है और सादगी से रहने वाला व्यक्ति है. वहीं गांव के लोग मृतक सागर धनखड़ के प्रति संवेदना भी जाहिर कर रहे हैं पर सुशील पर लगे आरोपों पर स्तब्ध हैं.
सुशील पहलवान और उनकी पत्नी ने भले ही गांव में रहना छोड़ दिया हो लेकिन अब भी उनके माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्य बापरोला गांव स्थित घर में ही रहता है. पूरा गांव उनके परिवार की शालीनता की बातें करता है.
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सुशील पहलवान के घर में माता-पिता के साथ दो भाई व दो भाभियां हैं. गांव वाले सुशील पहलवान के पिता को एक हंसमुख और मिलनसार इंसान मानते हैं. गांववालों के मुताबिक सुशील पहलवान इस गांव में 14 से 15 साल तक रहा है. सुशील पहलवान की प्राथमिक शिक्षा घर के पास के प्राइमरी स्कूल से शुरू हुई और गांव के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में खत्म हुई. यहां से पढ़ाई खत्म होने के बाद सुशील कुमार ने पहलवानी की दुनिया में कदम रखा.
गांव के एक शख्स ने कहा कि सुशील पढ़ाई-लिखाई में सामान्य बच्चों की तरह साधारण थे लेकिन जब हमने ने उसे अंग्रेजी में बोलते सुना तो वह उस पर गर्व महसूस होने लगा. वहीं जब सुशील कुमार ने ओलंपिक मेडल जीता, पूरे देश ने उन्हें जैसा सम्मान दिया, वैसा शायद ही किसी को मिला हो. अब जब सुशील कुमार गंभीर आरोपों में घिरें हैं तो लोग इस कांड पर स्तब्ध हो गए हैं. लोग मृतक सागर धनखड़ के प्रति संवेदना भी जाहिर कर रहे हैं.
गांव के लोग इस हत्याकांड को अलग-अलग पहलुओं से देख रहे हैं. उन्हें पुलिस पर भी संदेह है. वहीं कुछ लोगों को शक है कि सुशील कुमार को किसी साजिश के तहत फंसाया गया है.
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