वर्ष 1984 दंगा मामले में सज्जन कुमार को बरी करने के खिलाफ सिख समुदाय ने यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के घर 10-जनपथ पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया. यहां पहले से पुलिस तैनात थी, जिसने सैंकड़ों की संख्या में पहुंचे प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोक दिया. मोती लाल नेहरू और मानसिंह रोड को प्रदर्शनकारियों के चलते थोड़ी देर के लिए बंद कर दिया गया था. सिखों का कहना है कि कांग्रेस अपने दागी नेताओं को बचा रही है.
1984 के सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को सभी आरोपों से बरी करने से सिखों का गुस्सा भड़क गया है. बुधवार को सड़कों और मेट्रो स्टेशन पर बवाल के बाद अब प्रदर्शनकारियों ने सोनिया गांधी के घर विरोध-प्रदर्शन किया. इससे नई दिल्ली इलाके का ट्रैफिक प्रभावित हुआ. वैसे भी उस इलाके में संसद सत्र के चलते धारा 144 लागू है.
भारी संख्या में तख्तियां लेकर पहुंचे प्रदर्शनकारी सोनिया गांधी के घर के बाहर नारेबाजी की. दंगा पीड़ित परिवार भी वहां चिल्ला-चिल्ला कर न्याय की मांग की. प्रदर्शनकारियों ने लगातार सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ नारे लगाए और वहां लगे बैरिकेड को भी तोड़ दिया.
बुधवार को रुका था मेट्रो का पहिया
बुधवार को नाराज प्रदर्शनकारियों ने मेट्रो का पहिया तक रोक दिया था. सुभाष नगर और तिलक नगर मेट्रो स्टेशन को कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया था. हंगामे के चलते रूट नंबर-3 और 4 पर थोड़ी देर के लिए मेट्रो सेवा ठप हो गई थी. प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ भी झड़प हो गई थी. दिल्ली में कई जगह विरोध-प्रदर्शन हुआ और सिख 1984 के कत्लेआम के आरोपी सज्जन कुमार को सजा की मांग को लेकर अड़े हुए हैं.
बयान
दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि सज्जन कुमार के मामले में कोई राजनीति ना हो, जिसे इस फैसले से आपत्ति है वह ऊपर अपील करें.
दिल्ली गुरद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व प्रधान परमजीत सिंह सरना का कहना है की कोर्ट ने सज्जन कुमार को सबूतों के अभाव में छोड़ा है. उनके मुताबिक यह जांच का विषय है कि किन कारणों से सज्जन को सजा नहीं हुई. सरना ने कहा कि इस मामले को वह हाई कोर्ट में ले जायेंगे क्योंकि इस फैसले से सिखों की भावना आहात हुई है.
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा, 'सज्जन कुमार को बरी किया जाना दुखद और बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. हम इसे उपरी अदालत में चुनौती देंगे.' बादल ने कहा कि सिख विरोधी दंगा मामले में कुमार के खिलाफ प्रत्यक्ष सबूत था. उन्होंने आश्चर्य जताया कि कैसे अकेले कांग्रेस नेता को छोड़ दिया गया जबकि मामले में अन्य आरोपियों को उनके खिलाफ सबूतों के आधार पर दोषी ठहराया गया.
क्या है पूरा मामला
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश भर में सिख विरोधी दंगे फैले थे. इस दौरान दिल्ली कैंट के राजनगर में 5 सिख केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुविंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या कर दी गई थी. इस दंगे की भेंट चढ़े केहर सिंह इस मामले की शिकायतकर्ता जगदीश कौर के पति थे, जबकि गुरप्रीत सिंह उनके बेटे थे. इस घटना में मारे गए अन्य सिख दूसरे गवाह जगशेर सिंह के भाई थे.
सीबीआई ने 2005 में जगदीश कौर की शिकायत और न्यायमूर्ति जीटी नानावटी आयोग की सिफारिश पर दिल्ली कैंट मामले में सज्जन कुमार, कैप्टन भागमल, पूर्व विधायक महेंद्र यादव, गिरधारी लाल, कृष्ण खोखर और पूर्व पार्षद बलवंत खोखर के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
इसके बाद सीबीआई ने सभी आरोपियों के खिलाफ 13 जनवरी 2010 को अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था. इनमें से सज्जन कुमार को कोर्ट ने बरी किया जबकि बाकी पांचों लोगों को दोषी करार दिया गया है.