ऑक्सीटॉसिन ड्रग्स की खरीद फरोख्त और मैन्युफैक्चरिंग पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए बैन को दिल्ली हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि केन्द्र सरकार का नोटिफिकेशन मनमाना था, और ऑक्सीटोसिन की बिक्री को रोकने के लिए बिना किसी वैज्ञानिक परीक्षण के ये नोटिफिकेशन गलत तरीके से निकाला गया.
सरकार के नोटिफिकेशन के बाद से पूरे देश में ऑक्सीटॉसिन बनाने वाली सभी कंपनियों पर बैन लगा दिया गया था. साथ ही इसकी खरीद फरोख्त केंद्र सरकार के अधीन आने वाली ड्रग कंपनी KAPL को ही इसके मैन्युफैक्चरिंग करने के आदेश थे. केंद्र सरकार के बैन के खिलाफ ऑक्सीटोसिन दवा बनाने वाली कुछ कंपनियां और इंडिया ड्रग्स एक्शन नेटवर्क ने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था और बैन को हटाने की गुहार की थी.
जिसके बाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उन सभी कंपनियों को दोबारा ऑक्सीटॉसिन बनाने की इजाजत दे दी है. देश में तकरीबन 112 कंपनी ऐसी है जो ऑक्सीटोसिन दवा बनाती हैं. इसी साल 27 अप्रैल को इसकी बिक्री पर केंद्र सरकार ने पूरी तरह से बैन लगा दिया था. फिर अगले ही महीने ऑक्सीटोसिन की मैन्युफैक्चरिंग पर भी केंद्र सरकार द्वारा बैन लगा दिया गया था.
दरअसल ऑक्सीटोसिन के निर्माण और बिक्री पर रोक लगाने के पीछे केंद्र सरकार ने इसकी मुख्य वजह दवा का दुरुपयोग बताया था. सरकार का कोर्ट में सुनवाई के दौरान दावा था कि देह व्यापार में धकेली गई कम उम्र की लड़कियों को उम्र से पहले वयस्क करने के लिए ऑक्सीटोसिन के इंजेक्शन दिए जा रहे हैं. इसके अलावा दूसरी बड़ी शिकायत ये थी कि अक्सर डेरी चलाने वाले लोग गाय और भैस से ज्यादा दूध लेने के लिए भी इस इंजेक्शन का धड़ल्ले से उपयोग कर रहे हैं. बता दें कि ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल डॉक्टर अक्सर उस वक्त करते हैं जब गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी होती है.