दिल्ली के पूर्व कैबिनेट मंत्री और आम आदमी पार्टी के विधायक सत्येंद्र जैन ने एक बार फिर जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के चलते तकरीबन एक साल से जेल में बंद जैन को हाईकोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने अब सर्वोच्च न्यायालय जाने का फैसला किया. इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने जैन की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि वह प्रभावशाली व्यक्ति हैं और वह गवाहों तथा सबूतों को प्रभावित कर सकते हैं.
हाईकोर्ट ने जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था, 'वर्तमान अदालत इन कार्यवाहियों की वैधता में नहीं जा सकती है. तथ्य बताते हैं कि कुछ आय से अधिक संपत्तियों की जानकारी छिपाई गई थी. अदालत को प्रथम दृष्टया मामले को देखना होगा. व्यापक संभावनाएं इंगित करती हैं कि उनसे जुड़ी कंपनियां (सत्येंद्र जैन) खुद उनके द्वारा नियंत्रित और प्रबंधित की जा रही हैं.'
पिछले दिनों हुई सुनवाई पर दिल्ली हाई कोर्ट में ईडी की तरफ से कहा गया था कि आरोपियों के बयान से ये पता चलता है कि जैन ही फंड ट्रांसफर करने के बारे में सब कुछ जानते थे. ईडी ने कोर्ट में था कहा शेल कंपनियों में साल 2015 और 2016 में 1.5 करोड़ रुपये की एंट्री सत्येंद्र कुमार जैन के द्वारा की गई थी. ईडी ने मामले में आरोपी जवेंद्र मिश्रा के बयान को भी रेकॉर्ड पर लेते हुए कहा कि इस मामले में मोरस ओप्रेंडी यह था कि पैसा हवाला ऑपरेटर्स ( कोलकाता बेस्ड शैल कंपनियों ) को भेजना था. यह पूरा मामला मनी लांड्रिंग का बनता है.
इससे पहले दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र कुमार जैन की जमानत के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट में ईडी की तरफ से कहा गया था कि आरोपियों के बयान से ये पता चलता है कि जैन ही फण्ड ट्रांसफर करने के बारे में सब कुछ जानते थे. ईडी ने कोर्ट में कहा शेल कंपनियों में साल 2015 और 2016 में 1.5 करोड़ रुपए की एंट्री सत्येंद्र कुमार जैन के द्वारा की गई थी.