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केजरीवाल के करीबी, अन्ना आंदोलन के साथी, कहानी गिरफ्तार हुए सत्येंद्र जैन की

सत्येंद्र जैन के राजनीतिक जीवन का सबसे बड़ा नाटकीय मोड़ आ गया है. ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोलकाता की एक कंपनी से जुड़े हवाला लेनदेन के मामले में यह कार्रवाई की है.

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कहानी गिरफ्तार हुए सत्येंद्र जैन की
कहानी गिरफ्तार हुए सत्येंद्र जैन की
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सत्येंद्र जैन का जन्म 3 अक्टूबर 1964 को हुआ
  • जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता हैं सत्येंद्र जैन

दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कर लिया है. उनकी गिरफ्तारी ने राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज कर दी है. एक तरफ सरकार के लिए ये बड़ा झटका माना जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष केजरीवाल की 'ईमानदार सरकार ' पर सवाल खड़े कर रहा है. सत्येंद्र जैन के पास वर्तमान में उर्जा मंत्रालय, पीडब्ल्यूडी, स्वास्थ्य है. वे आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के काफी करीबी माने जाते हैं. अन्ना आंदोलन के दौरान उन्होंने अपना काम छोड़ भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद की थी, तो जब आम आदमी पार्टी का गठन हुआ तो उसके संस्थापक सदस्य भी रहे. ऐसे में आप के जब भी बड़े मंत्रियों की बात आती है तो सत्येंद्र जैन का नाम आना लाजिमी रहता है.

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अन्ना आंदोलन से आगाज, केजरीवाल का साथ

राजनीति में सत्येंद्र जैन को अपनी पहली पहचान अन्ना आंदोलन की वजह से मिली थी. साल 2011 में जन लोकपाल बिल के लिए सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने अनशन शुरू कर दिया था. उस आंदोलन में अन्ना का साथ अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, कुमार विश्वास, किरण बेदी जैसे कई चेहरों ने दिया जो आगे जाकर दिल्ली की राजनीति में काफी सक्रिय दिखे. ऐसा ही एक चेहरा सत्येंद्र जैन भी थे जिन्होंने केंद्रीय लोक निर्माण विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से अपनी नौकरी छोड़ दी थी और राजनीति में आने का फैसला किया था. उनके लिए सबसे पहला राजनीतिक मंच अन्ना हजारे का अनशन ही रहा जहां उनकी पहचान अरविंद केजरीवाल से हुई और देखते ही देखते वे उनके काफी करीबी बन गए.

पहला चुनाव और पहली जिम्मेदारी

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इसके बाद साल 2012 में अन्ना आंदोलन से बाहर निकले अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, शाजिला इलमी ने एक नई पार्टी बनाने का फैसला किया. नाम रखा गया आम आदमी पार्टी. उसकी स्थापना 2 अक्टूबर, 2012 को कर दी गई और चुनाव चिन्ह रखा गया झांड़ू. उन तमाम बड़े चेहरों के बीच में संस्थापक सदस्य सत्येंद्र जैन भी रहे जो अपनी एक अलग पहचान बनाने की कोशिश में लगे हुए थे. जब 2013 में आम आदमी पार्टी की पहली चुनावी परीक्षा हुई, तब दिल्ली में पार्टी ने 28 सीटें जीतीं, वहां भी सत्येंद्र जैन शकूर बस्ती से पहली बार चुनाव जीता. उस 49 दिन की सरकार में भी सत्येंद्र को स्वास्थ्य और उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई. आम आदमी पार्टी बताती है कि दिल्ली जिस महोल्ला क्लीनिक की वजह से पहचानी जाती है, उसका विजेन सबसे पहले सत्येंद्र जैन ने ही देखा था. बतौर मंत्री उनके बड़े फैसलों ने उन्हें पार्टी में तो काफी सक्रिय रखा ही, अरविंद केजरीवाल ने भी काफी तवज्जो दी.

2015 का चुनाव और जैन का बढ़ता कद

इसी वजह से साल 2015 में जब सरकार गिरने के बाद दिल्ली में फिर विधानसभा चुनाव हुए, आम आदमी पार्टी ने इतिहास रच दिया. 70 में से 67 सीटें जीतकर ऐसा जनादेश हासिल किया जो इससे पहले किसी को नहीं मिला. तब भारतीय जनता पार्टी तीन सीटों पर सिमट गई और कभी तीन बार सरकार बनाने वाली कांग्रेस बिना खाता खोले रह गई. उस चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने सत्येंद्र जैन को को शकूर बस्ती से चुनाव लड़वाया था. उन्होंने तब भी बीजेपी उम्मीदवार डॉ. एससी वत्स को बड़े अंतर से हरा दिया था. उनके खाते में तब 51530 मत गए थे. दूसरी बड़ी जीत मिलने से सत्येंद्र जैन की पहले से बनी मजबूत छवि और ज्यादा जानदार हो गई और एक बार फिर दिल्ली सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया.  उस समय जैन को स्वास्थ्य सहित कई और महत्वपूर्ण मंत्रालय भी दिए गए. स्वास्थ्य के अलावा उनके पास उद्योग, गृह, पीडब्ल्यूडी, बिजली, शहरी विकास और परिवहन जैसे विभाग भी उनके पास रहे.

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दूसरा कार्यकाल...विवादों का आगाज

दूसरी बार चुनाव जीतने के बाद सत्येंद्र जैन मंत्री तो बना दिए गए, लेकिन उनका ये कार्यकाल विवादों से भरा रहा. कह सकते हैं कि उनके जीवन के जो राजनीतिक विवाद रहे, उनकी नींव इस दूसरे कार्यकाल में पड़नी शुरू हो गई थी. सत्येंद्र जैन पर सबसे पहला बड़ा आरोप उन्हीं के पुराने साथी कपिल मिश्रा ने लगाया था. दावा कर दिया गया कि केजरीवाल के किसी रिश्तेदार के लिए सत्येंद्र जैन ने 50 करोड़ की डील करवाई. जैन पर अधिकारों के दुरुपयोग के भी कई आरोप लगे. सत्येंद्र जैन की बेटी सौम्या जैन को मोहल्ला क्लिनिक के लिए सलाहकार नियुक्त किए जाने के मामले ने भी उन पर कई तरह के सवाल खड़े कर दिए. इसके अलावा जैन पर आरोप था कि अनुभवहीन लोगों को बेहतरीन कह कर पीडब्लयूडी में क्रिएटिव टीम में लाया गया था. आरोप के मुताबिक लगभग दो दर्जन लोगों को बिना अनुमति के बड़ी-बड़ी रकम की सैलरी के तौर पर दी गई, जिसके चलते सरकार को करोड़ों का घाटा हुआ था. इस मामले में सीबीआई ने उनके छापेमारी की थी. जिसके बाद काफी विवाद बढ़ गया था. 

कोरोना काल और प्लाजमा थेरेपी वाला दांव

इन तमाम विवादों के बावजूद सत्येंद्र जैन बतौर मंत्री काम करते रहे. विवाद आए, जांच भी हुई, लेकिन अरविंद केजरीवाल और पार्टी का उन्हें पूरा समर्थन मिला. इसी वजह से उन्होंने 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में फिर शकूर बस्ती से ताल ठोकी और जीत दर्ज कर ली. उन्होंने फिर बीजेपी के उम्मीदवार एससी वत्स को 7592 वोटों हरा दिया. लगातार तीसरी जीत मिलने के बाद केजरीवाल सरकार में सत्येंद्र जैन को उर्जा मंत्रालय, पीडब्ल्यूडी, स्वास्थ्य जैसे बड़े मंत्रालय फिर दे दिए गए. उन्हें अपने कार्यकाल में कोरोना जैसी महामारी का भी सामना करना पड़ा था. स्वास्थ्य मंत्री थे, लिहाजा उनके हर फैसले पर सभी की नजर रही. ऐसा ही एक फैसला उनका प्लाजमा थेरेपी को लेकर रहा. किसी ने ज्यादा विश्वास नहीं जताया था, डॉक्टर भी इतने आश्वस्त नहीं थे, लेकिन सत्येंद्र जैन को भरोसा था. ऐसे में जब वे खुद कोरोना संक्रमित हुए, तब प्लाजमा थेरेपी का इस्तेमाल हुआ और बाद में कई दूसरे मामलों में भी उस थेरेपी का प्रयोग देखा गया.

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गिरफ्तारी क्यों हुई है?

लेकिन अब उन तमाम फैसलों के बाद सत्येंद्र जैन के राजनीतिक जीवन का सबसे बड़ा नाटकीय मोड़ आ गया है. ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोलकाता की एक कंपनी से जुड़े हवाला लेनदेन के मामले में यह कार्रवाई की है. बताया जा रहा है कि फर्जी कंपनियों के जरिये आए पैसे का उपयोग भूमि की सीधी खरीद के लिए या दिल्ली और उसके आसपास कृषि भूमि की खरीद के लिए लिए गए ऋण की अदायगी के लिए किया गया था.


 

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