scorecardresearch
 

नदियों के जल बंटवारे की याचिका पर SC ने फिर 4 महीने टाली सुनवाई, 2015 में कोर्ट पहुंचा था पंजाब

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार की नदियों के जल बंटवारे को लेकर याचिका की याचिका पर सुनवाई को एक बार फिर से चार महीनों के लिए टाल दिया है. याचिका में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर के साथ-साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के बीच जल विवाद को इंटर स्टेट वाटर डिस्प्यूट ट्रिब्यूनल में भेजने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी.

Advertisement
X
नदियों के जल बंटवारे की याचिका पर SC ने फिर 4 महीने टाली सुनवाई.(फाइल फोटो)
नदियों के जल बंटवारे की याचिका पर SC ने फिर 4 महीने टाली सुनवाई.(फाइल फोटो)

नदियों के जल बंटवारे को लेकर उत्तर भारत के कई राज्यों में विवाद है. पंजाब सरकार के मूल मुकदमे पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को फिलहाल चार महीने के लिए टाल दिया है. इसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर के साथ-साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के बीच जल विवाद को इंटर स्टेट वाटर डिस्प्यूट ट्रिब्यूनल में भेजने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी.

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने 5 फरवरी, 2015 को दायर पंजाब के मूल मुकदमे पर सुनवाई मई तक के लिए टाल दी है. इसमें इंटर स्टेट नदी जल विवाद अधिनियम 1956 की धारा 4 के तहत एक उचित ट्राइब्यूनल गठित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.
पंजाब सरकार चाहती थी कि कृषि और अन्य उद्देश्यों के लिए संबंधित राज्यों की पानी की उपलब्धता और पानी की जरूरतों के पुनर्मूल्यांकन के बाद इन राज्यों के बीच जल विवाद को ट्रिब्यूनल के पास भेजा जाए.

'पंजाब चाहता था पानी का पुन: आवंटन'

पंजाब परिस्थितियों में बदलाव के मद्देनजर रावी-ब्यास जल का पुन: आवंटन चाहता था, जिसमें इस सवाल का निर्णय भी शामिल था कि क्या हरियाणा और राजस्थान तटवर्ती राज्य हैं या नहीं. मुकदमे में जलवायु परिवर्तन के कारण पानी की उपलब्धता 17.17 एमएएफ से घटाकर 14.37 एमएएफ (यानी लगभग 16 प्रतिशत) करने और 12 मई, 1994 के यमुना समझौते के समापन के बाद हरियाणा को अतिरिक्त 4.65 एमएएफ पानी की उपलब्धता को उजागर करने की मांग की गई थी.

Advertisement

इसमें नदियों की नेटवर्किंग मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित शारदा-यमुना लिंक के तहत हरियाणा को अतिरिक्त 1.62 एमएएफ की उपलब्धता के बारे में बात की गई.

पंजाब ने आगे कहा कि उसके क्षेत्रों को रावी-ब्यास जल का उपयोग करने का अधिमान्य अधिकार है. पंजाब के वर्तमान जल उपयोग विशेष रूप से फिरोजपुर, फरीदकोट, मुक्तसर, मोगा, संगरूर, मनसा और बठिंडा जिलों के हिस्से के बारे में बात करते हुए इसमें स्पष्टता के साथ कहा गया है.

इन क्षेत्रों को राज्य के पुनर्गठन से पहले कानूनी रूप से पानी आवंटित किया गया था. उस आवंटन विधान को राज्यों के और बंटवारे के बाद भी जारी रखा गया है.

Live TV

Advertisement
Advertisement